Tripura News: त्रिपुरा में हर महीने 150-200 एड्स संक्रमित मरीज मिलने से लोगों में डर का माहौल बना हुआ है. वहीं, प्रदेश के सीएम माणिक साहा ने गुरुवार को राज्य में HIV/एड्स के मामले बढ़ने पर चिंता जताई है. उन्‍होंने कहा कि इस संक्रामक बीमारी से हर महीने 150 से 200 लोग इन्फेक्टेड हो रहे हैं. खासकर स्टूडेंट्स और युवाओं के बीच इंट्रावेनस इंजेक्शन या आईवी दवा का उपयोग बढ़ जाना भी चिंताजनक है.


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सीएम वे  HIV/एड्स पर एक जागरूकता प्रोग्राम को खिताब करते हुए कहा कि जनवरी तक 1,033 महिलाओं और 558 स्टूडेंट्स समेत 5,330 लोग इस संक्रामक बीमारी से इनफेक्टेड थे. बता दें कि साहा के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डिपार्टमेंट का भी प्रभार है.


सीएम ने किया ये आग्रह
सीएम ने लर्निंग कम्युनिटी से हालात पर बारीकी से नजर रखने का आग्रह करते हुए कहा कि HIV/एड्स के खतरे को रोकने के लिए निगरानी और सुपरविजन अहम काम है. उन्होंने कहा कि साल 1970 के दशक से मणिपुर "आईवी ड्रग उपयोग" में पूर्वोत्तर राज्यों में टॉप पर है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर इलाके और देश के सभी राज्य केंद्र के गाइडेंस और मदद से "नशा मुक्त भारत" के लिए कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हाल ही में मैं दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया में एक स्टूडेंट से मिला. उसने कहा कि वह अच्छा स्टूडेंट और खिलाड़ी था, लेकिन बाद में नशीली दवाओं के खतरे का शिकार हो गया. पांच साल के बाद उसने नशीली दवाओं का इस्तेमाल बंद कर दिया है और अब वह अपनी बीमारी से उबर रहा है."


एड्स फैलने की यह है वजह; साहा
बता दें कि साहा खुद भी एक डेंटल सर्जन हैं. उन्‍होंने कहा कि फाइनेंशियल रीजन और अज्ञानता की वजह से कई युवा एक ही डिस्पोजेबल सिरिंज का उपयोग बार-बार करते हैं, जिससे यह संक्रामक बीमारी फैल रही है. उन्होंने टीचर्स, हेल्थ अफसरों और गैर-सरकारी ऑर्गेनाइजेशन समेत सभी संबंधित पार्टियों से नशीली दवाओं के खतरे के केंद्र की पहचान करने और HIV/एड्स को जड़ से खत्म करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में असम के बाद त्रिपुरा में सबसे ज्यादा नशीले पदार्थ जब्त और बर्बाद किए गए.


इन रास्तों से नशीले पदार्थ की हो रही सप्लाई
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही आठ जिलों में 8 नशा मुक्ति सेंटर बनाने का फैसला लिया है, ताकि इस परेशानी से खुद को मुक्त करने की कोशिश कर रहे युवाओं को सभी तरह की मदद और गाइडेंस मिल सके.
अफसरों ने कहा कि म्यांमार से तस्करी कर लाई गई दवाएं मिजोरम और असम के रास्ते त्रिपुरा आ रही हैं और खुफिया रास्तों से बांग्लादेश जा रही हैं. हालांकि, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्सेज ड्रग्स के कारोबार को खत्म करने के लिए हमेशा अलर्ट रहते हैं.