Fatwa on New Year Celebration: नए साल के आने में अब महज 48 घंटे से भी कम वक्त बचा है. लोग नए साल के जश्न मनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं, लेकिन इससे पहले बरेली से नए साल की शुभकामनाएं और सेलिब्रेशन को लेकर एक फतवा जारी किया गया है. इसमें नए साल के जश्न मनाने को नाजायज करार दिया गया है और नव वर्ष की बधाइयां देना भी उन्होंने इस्लामिक के खिलाफ बताया है.


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ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ( AIMJ ) के नेशनल प्रेसिडेंट मौलाना शहाबुद्दीन बरेली ने फतवा जारी करते हुए कहा कि यह ईसाइयों का नया साल है ना कि इस्लामी नया साल है. खास तौर पर नौजवानों से उन्होंने अपील की है कि नए साल की जश्न में वह अपने आप को अलग रखें. मौलाना के मुताबिक, नए साल के मौके पर मुस्लिम नौजवान लड़के और लड़कियां जश्न मनाते हैं, और एक दूसरे को मुबारकबाद देने के लिए होटलों में प्रोग्राम भी आयोजित करते हैं, जो गैर-इस्लामिक है.


 जश्न मनाना और मुबारकबाद देना नाजायज: मौलाना शहाबुद्दीन
नए साल को लेकर चश्मे दारूल इफ्ता के हेड मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन ने एक फतवा जारी किया है. फतवा में कहा गया है कि नए साल का जश्न मनाना, मुबारकबाद देना और प्रोग्राम आयोजित करना इस्लामी शारियत की रौशनी में नाजायज है.


नया साल मनाना ईसाईयों का "मजहबी शिआर" है: मौलाना शहाबुद्दीन
फतवे में कहा गया है कि नया साल जनवरी से शुरू होता है जो अंग्रेज यानी ईसाईयों का नया साल है. ईसाईयों का मजहबी, धार्मिक प्रोग्राम है कि वो हर साल के पहले दिन ज़श्न मनाते हैं. इसमें अलग-अलग प्रोग्राम का आयोजन करते हैं, ये ईसाईयों का खालीस "मजहबी शिआर"( मजहबी प्रोग्राम ) है, इसलिए मुसलमानों को नए साल का जश्न मनाना जायज नहीं है. इस्लाम इस तरह के प्रोग्राम को सख्ती के साथ रोकता है.


मौलाना मुफ्ती शाहाबुद्दीन ने फतवे में कहा है कि नए साल का जश्न मनाना, एक दूसरे को मुबारकबाद देना, पटाखे दागना, तालीयां बजाना, शोर मचाना, सिटियां बजाना, लाइट बंद करके हुड़दंग करना फिर लाइट को दोबारा जलाना, नांच गाना करना, शराब पीना, जुआ खेलना, अपने मोबाइल वाट्सअप से एक -दूसरे को मैसेज भेजकर मुबारकबाद देना, ये सारे काम इस्लामी शारियत की रौशनी में नाजायज है.


"नए साल के जश्न के एहतमाम से बचें": मौलाना रजवी
फतवे में मुसलमानों से कहा गया है कि गैरों के मजहबी त्योहारों में शामिल होने, या खुद करने, या उसका एहतमाम देखने से बचें और दूसरे मुसलमानों को भी रोंके. अगर कोई शख्स इस तरह का गैर-शरई काम अंजाम देता है तो वो सख्त गुनेहगार होगा. मुसलमानों को चाहिए कि शरियत के खिलाफ कोई भी काम न करें.