Shahi Idgah Survey: मथुरा में मौजूद शाही ईदगाह पर विवाद शुरू हो गया है. इल्जाम है कि यहां कभी हिंदू मंदिर हुआ करता था. अदालत ने यहां ASI सर्वे की इजाजत दे दी है. ASI सर्वे के लिए कोर्ट में कुछ लोगों ने याचिक दायर की थी. अदालत की तरफ से सर्वे की इजाजत दिए जाने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि यह कानून का उल्लंघन है.


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मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का इल्जाम है कि "इलाहाबाद हाई कोर्ट का शाही ईदगाह मस्जिद में सर्वे का आदेश ना सिर्फ 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है, बल्कि यह उस एग्रीमेंट का भी उल्लंघन करता है जो 1968 में हिंदू-मुस्लिम पक्ष के बीच हुए थे." 


मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास के मुताबिक "यह फैसला 1968 के समझौते के खिलाफ है." उनके मुताबिक फैसले में ईदगाह और मंदिर के दरमियान 13.37 एकड़ जमीन बांटी गई थी. इसमें 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि को दी गई थी. जबकि 2.5 एकड़ जमीन मस्जिद के हिस्से में आई थी. इसके बाद कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के दरमियान एग्रीमेंट हुआ था.


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक यह समझौता विवाद को सुलझाने के लिए था. बोर्ड ने उस फैसले की भी आलोचना की जिसमें सर्वे में एडवोकेट-कमिश्नर नियुक्त किया गया. इससे पहले इसी तरह का सर्वे वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में हुआ था.


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के स्पीकर सैयद कासिम ने कहा कि साल 1991 में कानून बनाया गया था. इसका मकसद पूजा स्थलों की हालत को 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के वक्त मौजूद बनाए रखते हुए ऐसे विवादों को स्थायी रूप से हल करना था.


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