Waqf Board Act: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड पर कंट्रोल करने की तैयारी ली है. मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' घोषित कर उसकी अनियंत्रित शक्तियों पर लगाम लगाना चाहती है. जराए के मुताबिक 2 अगस्त की शाम कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में 40 से ज्यादा संशोधनों पर चर्चा की. वहीं, 5 अगस्त को लोकसभा में इस बिल को पेश किया जा सकता है. इसको लेकर अभी से ही वक्फ बोर्ड को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी से लेकर रामपुर से सपा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदबी ने भी इस बिल के खिलाफ सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर और उसके अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए ये बिल ला रही है.


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नदवी ने कहा, ''वक्फ बोर्ड संशोधन का तरीका गलत है. इससे दुनिया में देश की छवि खराब होगी.'' इसके साथ ही रामपुर सांसद ने वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव की तुलना कृषि कानूनों से की गई. नदवी ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों की तरह ही इस बिल को लाना चाहती है. कृषि के लिए काले कानून भी उसी तरह रातों-रात लाए गए. वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना बताता है. ऐसा नहीं है. इसके लिए एक प्रक्रिया होती है.''


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देश की होगी छवि खराब
उन्होंने आगे कहा, "यह गलत है और वक्फ बोर्ड का इस्तेमाल कर दुष्प्रचार किया जा रहा है. इससे दुनिया में संदेश जाएगा कि सरकार कमजोर है. सरकार को नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, अगर सरकार की मंशा सही है तो सर्वदलीय बैठक बुलाकर विद्वानों को बुलाकर इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए. इससे देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को नुकसान पहुंचने वाला है. जब बिल संसद में आएगा तो सपा प्रमुख इसे देखेंगे और उसके अनुसार ही कोई स्टैंड लेंगे. फिलहाल बिल लाने का तरीका गलत है और इससे देश की छवि खराब होगी."


ओवैसी ने क्या कहा?
उधर, वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मीडिया में आ रही खबरों के आधार पर मैं कहना चाहता हूं कि पीएम मोदी सरकार अधिकारों को छीनना चाहती है। भाजपा शुरू से ही वक्फ के खिलाफ रही है। उनका एजेंडा इसे खत्म करना है।


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद ने भी इस बिल को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है, "कोई नया संशोधन की जरूरत नहीं है. मौजूदा कानून वक्फ मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त हैं और उत्तर प्रदेश के वक्फ बोर्ड में पहले से ही दो महिला सदस्यों का प्रतिनिधित्व है. कोई भी बदलाव करने से पहले हितधारकों की राय पर विचार किया जाना चाहिए."