गुवाहाटीः देश में इस वक्त टमाटर के साथ ही दूसरी सभी हरी सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही है. सब्जी की इस महंगाई से आम लोग त्रस्त हैं. इसी के साथ ही सब्जियों की महंगाई को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है, और सच कहें तो सांप्रदायिक सियासत. गुरुवार को पत्रकारों ने जब गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री हिमानता बिसवा सरमा से सब्जियों की कीमतों में वृद्धि को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, "शहर में सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी के लिए मियां मुसलमान जिम्मेदार है.’’  सरमा ने दावा किया है  कि जो सब्जी विक्रेता कीमत  बढ़ा रहे हैं और उनमें से ज्यादातर “मिया” लोग हैं. 


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हिमानता बिसवा सरमा ने आगे कहा कि गांव में किसानों के पास बिकने वाली सब्जियों के दाम ज्यादा नहीं है, लेकिन जब वही सब्जियां गांव से शहर में लाकर गुवाहाटी में बेची जाती है तो उसकी कीमत ज्यादा वसूल की जा रही है. इसकी वजह ये है कि गुवाहाटी में मुसलमान सब्जी बेच रहा है. अगर असमिया लोग सब्जी बेचते तो क्या वह अपने ही लोगों को बढ़ी हुई कीमत पर सब्जी बेचते ? 
सरमा ने आगे कहा कि ईद के वक्त गुवाहाटी का रास्ता बिल्कुल खाली था, क्योंकि 70 फीसदी ड्राइवर मुसलमान हैं. हम चाहते हैं कि असमिया लोग भी ड्राइविंग सीखे और सब्जियां बेचे. ऐसा करने से धीरे-धीरे मुसलमानों की इन पेशों पर जो पकड़ हैं बनी हुई है वह खत्म हो जाएगी. सरमा ने कहा, "मैं असमिया युवाओं से आगे आने की अपील करता हूं. मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि मैं सभी 'मिया' मुस्लिम सब्जी विक्रेताओं को शहर से बाहर निकाल दूंगा. "



सीएम के बयान पर सांसद बदरुद्दीन अजमल ने किया पलटवार  
वहीं, मुख्यमंत्री हिमानता बिसवा सरमा के बयान पर एआईयूडीएफ के मुखिया और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने पलटवार किया है. उन्होंने इल्जाम लगाया है कि असम के मुख्यमंत्री राज्य में असमिया और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही सांसद बदरुद्दीन अजमल ने सरकार पर माड़वारियों से पैसा उधार लेने और इंटरेस्ट जमा करने का भी आरोप लगाया है.


बदरुद्दीन अजमल ने कहा, "चुनाव आ रहा है. चुनाव के वक्त सरकार को पैसे की जरूरत होती है. यह पैसा वह मारवाड़ी से लेते हैं,  और बाद में सूद सहित उन्हें पैसा लौटते हैं. इसीलिए सब्जियों का दाम बढ़ाया जा रहा है.’’ बदरुद्दीन अजमल ने कहा, "हिमानता बिसवा सरमा राज्य के प्रशासनिक प्रमुख हैं. उनके मुंह से मुसलमान और असमिया लोगों के बीच फूट डालने वाली वक्तव्य सुनकर मुझे दुख पहुंचा है. अगर मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद असमिया और मुसलमानों के बीच कोई तनाव की स्थिति बने तो उसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री ही होंगे.’’ 


क्या है मियां मुसनमान का मतलब ? 
गौरतलब है कि असम में मुसलमानों को दो हिस्सों में बांटकर देखा जा रहा है.  एक वो मुसलमान हैं, जो असम की स्थाई निवासी हैं और उन्हें खिलोनजिया यानी इंडिजिनियस मुस्लिम कहा जाता है. वहीं, दूसरा वह मुसलमान है, जो कई सालों से विस्थापित होकर असम में रह रहा है. मिया मुसलमान प्रवासी बंगाली मुसलमानों के वंशज हैं जो 20वीं सदी में असम के ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान ब्रह्मपुत्र घाटी में रहते आ रहे हैं. ये प्रवासी बांग्लादेश के मैमनसिंह, रंगपुर और राजशाही डिवीजनों से आए थे. असम में इन्हें मियां मुसलमान कहा जाता है. असम में हिमानता बिसवा सरमा की सरकार खुलकर मियां मुसलमानों का विरोध करती रही है, जबकि खिलोनजिया मुसलमानों के लिए कई तरह की सरकारी परियोजना बनाकर उन्हें संरक्षण दे रही है.


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