Bihar Muslim News: बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि इस फैसले के बाद लोग जागरूक होंगे और तलाक के मामले में कमी आएगी. उन्होंने आगे कहा कि तलाकशुदा महिलाओं को गुजारा भत्ता मिलने पर लोगों में डर का माहौल रहेगा. इस फैसले के बाद लोग तलाक देने से पहले कई बार सोचेंगे. मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा भी मिलेगी.


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सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब मुस्लिम तलाकशुदा महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को फैसला सुनाया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मुस्लिम शख्स की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया था. इस याचिका में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश को चुनौती दी गई थी.


महिलाओं के त्याग को पहचानें
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया था कि गुजारा भत्ता मांगने का कानून सभी शादीशुदा महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. अदालत ने 10 तारीख को कहा कि भरण-पोषण दान नहीं है, बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, "कुछ पति इस फैक्ट से अवगत नहीं हैं कि पत्नी, जो एक गृहिणी है, भावनात्मक तौर पर और अन्य तरीकों से उन पर निर्भर है. समय आ गया है, जब भारतीय पुरुष को एक गृहिणी की भूमिका और त्याग को पहचानना चाहिए."


क्या कहता है मुस्लिम पक्ष
आपको बता दें कि मुस्लिम तलाकशुदा औरतों को गुजारा भत्ता दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दावा किया जा रहा है कि अब औरतों के साथ अन्नयाय नहीं होगा. वहीं इस्लाम के जानने वालों का कहना है कि मुस्लिम महिला का तलाक होने के तीन महीना (इद्दत) पूरी होने के बाद औरत और मर्द का पूरी तरह से रिश्ता खत्म हो जाता है. ऐसे में कोई औरत अपने पति से गुजारा भत्ता नहीं ले सकती है. हां, अगर दोनों से कोई औलाद है और वह अपनी मां के पास रहना चाहती है तो मर्द अपनी औलाद के लिए अपनी हैसियत के मुताबिक पैसे दे सकता है.