Assam News: विपक्षी कांग्रेस और AIUDF ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के विरोध में सोमवार को असम विधानसभा से वाकआउट किया. AIUDF ने कैबिनेट फैसले पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया था, जिसे स्पीकर बिस्वजीत दैमारी ने खारिज कर दिया. कांग्रेस का कहना था कि मूल विधेयक को पूरी तरह रद्द किए बिना भी इसमें संशोधन किए जा सकते थे.


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सरमा ने बताया सही कदम
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम कैबिनेट ने शुक्रवार को राज्य में बाल विवाह के सामाजिक खतरे को खत्म करने के लिए अधिनियम को रद्द करने के फैसले को मंजूरी दे दी है. विपक्षी दलों की आलोचना का जवाब देते हुए, सरमा ने सोमवार को सदन में कहा कि विधेयक को रद्द कर दिया जाएगा क्योंकि यह बाल विवाह को खत्म करने की दिशा में एक कदम है. उन्होंने कहा, "जब तक मैं जीवित हूं, मैं असम में बाल विवाह नहीं होने दूंगा." कैबिनेट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने 10 मिनट के लिए सदन से वॉकआउट किया.


जारी रहा कामकाज
AIUDF विधायकों ने शुरू में नारे लगाए और सदन के वेल में आ गए और पांच मिनट से अधिक समय तक फर्श पर बैठे रहे. बाद में वे भी बाहर चले गए क्योंकि अध्यक्ष ने सदन का सूचीबद्ध कामकाज जारी रखा. हालांकि, विपक्षी सीपीआई (एम) विधायक और एकमात्र निर्दलीय विधायक सदन में मौजूद रहे.


बदरुद्दीन ने जताया ऐतराज
इससे एक दिन पहले आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने दावा किया था कि असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को रद्द करना असम में समान नागरिक संहिता (UCC) लाने की दिशा में पहला कदम है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम रद्द करना राज्य में भाजपा सरकार की ताबूत में आखिरी कील साबित होगा. असम मंत्रिमंडल ने इस कानून को निरस्त करने की शुक्रवार रात मंजूरी दे दी.