Madarsa in Uttarakhand:  उत्तराखंड में बच्चों के अधिकारों को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने 14 विभागों के साथ समीक्षा बैठक की. समीक्षा के साथ राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम ने देहरादून के कई मदरसों का भी औचक निरीक्षण किया, जहां कई अनियमितताएं पाई गईं. आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मीडिया सेंटर में पत्रकारों से वार्ता में कहा कि आयोग ने सभी अनियमितताओं पर साफ कर दिया है कि शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक आयोग की मिलीभगत के कारण उत्तराखंड में 400 से ज्यादा मदरसे अवैध रूप से चल रहे हैं. इन मदरसों पर आयोग की तरफ से कार्रवाई की जाएगी.


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हिंदू बच्चों को तालीम
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग उत्तराखंड के सभी जिलाधिकारियों को दिल्ली तलब करने की तैयारी में है. इसके अलावा, आयोग को देहरादून में कुछ ऐसे मदरसे भी मिले हैं, जहां दूसरे राज्यों से बच्चे लाकर मदरसों में रखे गए. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम का दावा है कि औचक निरीक्षण के दौरान उन्हें ऐसे मदरसे भी मिले हैं जिनमें हिंदू बच्चों को इस्लाम धर्म की शिक्षा दी जा रही थी.


700 हिंदू बच्चे
इससे पहले पिछले साल नवंबर में खबर आई थी कि उत्तराखंड के मदरसों में 700 बच्चों को इस्लामी शिक्षा दी जा रही है. इन मदरसों में हरिद्वार के 21 मदरसे, उधम सिंह नगर के 9 मदरसे, नैनीताल का एक मदरसा शामिल है. बताया जाता है कि जिन इलाकों में हिंदू बच्चे मदरसों में तालीम ले रहे हैं, वहां पर सरकारी स्कूलों का अभाव है. बताया जाता है कि राज्य गठन के बाद इन इलाकों में मुस्लिम बाहुल आबादी हो गई और यहां पर मदरसे खुलने लगे. इसलिए यहां पर बेसिक शिक्षा के स्कूल कम हो गए. 


मांगा गया जवाब
बताया जाता है कि इन इलाकों के हिंदू बच्चे मजबूरी में मदरसों में शिक्षा ले रहे हैं. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने उत्तराखंड अल्पस्खयक विभाग से पूछा है कि ऐसा क्यों है कि हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ रहे हैं. इस पर उन्होंने जवाब दिया है. 


मदरसा ने दिया जवाब
इस मामले पर मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि मदरसों में प्राइमरी शिक्षा पहले से दी जा रही है. यहां भारत की शिक्षा नीति के मुताबिक तालीम दी जा रही है. उन्होंने कहा कि मदरसों को सिर्फ एक धर्म विशेष के लिए तालीम का केंद्र न समझा जाए.