क्या हाजी शहजाद अली के बढ़ते रसूख की वजह से तोड़ा गया उसका मकान और हौसला ?
Chhatarpur Buldozer Action: मध्य प्रदेश के छतरपुर में थाने पर पथराव के आरोपी लोकल कारोबारी और पूर्व पार्षद हाजी शहजाद अली का करोड़ों के मकान और गाड़ियों को प्रशासन तो तोड़ दिया है. अली के खिलाफ थाने में पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. पुलिस उसके मकान को अवैध बता रही है, लेकिन इस कार्रवाई को लोग कानून और संविधान की हत्या बता रहे हैं, क्यूंकि इसकी अनदेखी की गई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.
छतरपुर: मध्य परदेश के छतरपुर में पुलिस पर पथराव करने के मुलजिम हाजी शहजाद अली (Haji shahzad ali) के मकान के आखिरी पिलर को भी शुक्रवार को गिरा दिया गया. गुरुवार को लगभग 20 करोड़ की कीमत के इस आलीशान मकान पर पुलिस ने लोकल प्रशासन की मौजूदगी में बुल्डोजर चलाकर जमीदोंज कर दिया था. हाजी पर आरोप है कि उसने छतरपुर के कोतवाली पुलिस स्टेशन में पथराव करने वाली भीड़ का नेतृत्व किया था. हाजी की अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन भीड़ में शामिल लगभग 20 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. शुक्रवार की सुबह पुलिस ने इन लोगों की शहर में परेड कराई और उनसे आपत्तिजनक नारे भी लगवाए.
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गौरतलब है कि थाने पर पथराव तब शुरू हुआ जब मुस्लिम समुदाय के लोग नासिक में एक हिन्दू संत गिरिराज के जरिये पैगम्बर मुहम्मद साहब पर अपमानजनक टिपण्णी का विरोध कर रहे थे और थाने में उस संत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने गए थे. उपद्रवियों का आरोप है कि पुलिस ने उनका मुकादम लिखने से न सिर्फ इनकार किया बल्कि उनपर लाठी चार्ज भी की. इसके बाद भीड़ भड़क गई और कुछ लोगों ने थाने में पथराव कर दिया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 500 किमी की दूरी पर बसा यह जिला पन्ना, टीकमगढ़, दमोह और सागर जिले से घिरा है. जिले की उत्तरी सीमा में उत्तर प्रदेश भी लगा हुआ है. यह जिला अपने ऐतिहासिक महत्त्व के लिए देश और दुनियाभर में मशहूर है. छत्रसाल म्यूजियम और चोल शासकों का बनाया हुआ खजुराहो मंदिर इसकी जिले में हैं. इस शहर में कभी इस तरह के झगड़े और फसाद पहले कभी नहीं हुए. इसलिए इस विवाद से आम शहरी फिक्रमंद हैं.
कौन है शहजाज अली ?
इस हादसे के बाद से हाजी शहजाद अली (Haji shahzad ali), उसका बड़ा भाई कांग्रेस पार्षद अजीज अली और उनके परिवार के सभी सदस्य फरार हैं. अजीज अली लम्बे अरसे से पार्षद रहे हैं. उसके पहले शहजाद अली भी पार्षद रह चुके हैं. ये लोग शहर के नामचीन कारोबारी रहे हैं, लेकिन पैसे आने के बाद सियासत में अपनी किस्मत आजमाने लगे.
शहजाद अली अंजुमन इस्लामिया नाम से एक संस्था भी चलाता है. यहाँ वो लोगों की सस्याएं सुनकर प्रशासन की मदद दे उसका हल निकलता था. शहजाद अली को कांग्रेस के पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना राजा का काफी नजदीक भी बताया जा रहा है.
शहजाज अली ने विडियो जारी कर दी सफाई
मकान टूटने के बाद आरोपी हाजी शहजाद अली (Haji shahzad ali) ने अपना बीडीओ जारी सफाई दी है. शहजाद अली ने कहा कि संत गिरिराज के जरिये पैगम्बर मुहम्मद साहब पर की गयी टिपण्णी के बाद लोग वहां ज्ञापन देने पर शिकायत दर्ज कराने गए थे. जब लोग वहां पहुंचे थे, थाने का TI वहां नहीं था.. एक घंटे तक लोग वहां खड़े रहे, और पुलिस वाले उन्हें अंदर जाने नहीं दे रहे थे. इस भीड़ में शहजाद अली नहीं था, जब उसे फ़ोन किया गया तो वो थाने आया था. उसका कहना है कि जो लोग थाने गए थे, उसमे कोई उपद्रवी नहीं था. घटना में शामिल लोग, यानी पत्थर फेंकने वाले लोग बाहर के थे. घटना की प्रशासन जांच करवाये और जो दोषी है उस पर कारवाई करे. छतरपुर में कभी ऐसी घटना पहले नहीं घटी थी. यह बेहद शांति और सौहार्द्र वाल शहर है. यहाँ घटना कराई गई है.
पहले से कोई मुकदमा नहीं लेकिन भीड़ की मंशा पर सवाल
इसी इलाके के भाजपा नेता और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य संजय रिछारिया बताते हैं कि इस शहर का माहौल बेहद शांतिपूर्ण है. यहाँ कोई लड़ाई - झगड़ा नहीं होता है. लेकिन वो हाजी अली की मंशा पर सवाल उठाते हैं. संजय रिछारिया कहते हैं, अगर ज्ञापन ही देना था तो थाने में कौन सा ज्ञापन दिया जाता है? ज्ञापन तो कलेक्टर या SP ऑफिस में दिया जाना चाहिए. थाने में शिकायत दर्ज कराई जाती है, और ये काम 5- 10 लोग भी कर सकते थे. इसके लिए 2 हज़ार लोगों की भीड़ लेकर जाने की क्या ज़रूरत थी ? इसमें शामिल उपद्रवी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
वहीँ, संजय रिछारिया ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा घटना के बाद बाइक पर घूम रहे पुलिस के सिपाही कुछ निर्दोष लोगों को भी उठा ले गए हैं.. ये गलत है, सजा सिर्फ असली दोषियों को मिलनी चाहिए. कार्रवाई के नाम पर फर्जी धड़पकड़ ठीक नहीं है. इससे दोषी बच जाएंगे.
पंचायत लगाता था हाजी अली
इलाके के वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र व्यास बताते है कि हाजी अली का काम जमीन की खरीद- फरोख्त का था. हाल के दिनों में उसका दबदबा और संपत्ति दोनों काफी बढ़ रही थी. उसके पास कुछ अवैध ज़मीन हो सकती है, लेकिन उसका प्रभाव इतना था कि कोई उसके खिलाफ कुछ बोलता नहीं था. हालांकि हाजी अली के खिलाफ पुलिस में पहले से कोई मुकदमा भी दर्ज नहीं है. इलाके के निवानी सलीम अली बताते हैं, हाजी अली इलाके का रसूखदार आदमी है. जो मकान पुलिस के गिरा दिया, उसमें वो लोगों की शिकायते सुनता था और उसका हल भी करता था.
क्या मुसलमान होने की वजह से सरकार ने तोड़ा है हाजी अली का मकान ?
हाजी अली का 20 करोड़ का मकान गिराए जाने के बाद देशभर में मध्य प्रदेश सरकार की आलोचना हो रही है. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि हाजी अली अगर पथराव कराने का दोषी था, तो इस दोष के खिलाफ किसी का घर या करोड़ों की गाड़ी तोड़ना कानून या इन्साफ नहीं हो सकता है. ये कानूनी प्रक्रिया और संविधानिक मूल्यों की हत्या है. अगर वो ज़मीन और मकान अवैध था, तो पहले उसे नोटस दिया जाना चाहिए और फिर उसकी करोड़ों रुपए की तीन लग्ज़री गाड़ियाँ कैसे अवैध हो सकती है? ये सरासर एक धर्म विशेष के आदमी के खिलाफ की गई सरकार की साम्प्रदायिक कार्रवाई है. उसे मुसलमान होने की सजा दी गई है.
कांग्रेस के मुस्लिम विधायक और सांसद ने दिखाया समर्थन
हाजी अली का मकान तोड़ने के बाद विपक्षी नेताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई से किनारा कर लिया है. उसका भाई कांग्रेस का पार्षद है. हाजी आली खुद पार्षद रह चुका है लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस की तरफ से उसके समर्थन में कोई बयान नहीं दिया गया है. हालांकि, भोपाल के कांग्रेसी विधायक आरिफ मसूद ने निजी तौर पर इस कारावाई की आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि विशेष वर्ग को सरकार टारगेट कर रही है. मसूद ने कहा है कि उन्होंने इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है. अगर न्याय नहीं मिला तो वो उच्च न्यायालय में इसकी लड़ाई लड़ेंगे. ज़रूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे. वहीँ राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी कहा है कि वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. मध्य प्रदेश सरकार मुसलमानों के खिलाफ काम कर रही है.
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