Muslim Families Construct Kanwars: देश में कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है. ऐसे में कई मुस्लिम परिवार शिव भक्तों के लिए कांवड़ बनाते हैं. उत्तराखंड के हरिद्वार, जबलपुर के इंदिरा बस्ती और रुड़की के पास मंगलौर में कई मुस्लिम परिवार ऐसे हैं जो कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले कांवड़ बनाते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद और बिजनौर ऐसे इलाके हैं जहां पर कई मुस्लिम परिवार कांवड़ यात्रा शुरू होने से कई महीना पहले कांवड़ बनाना शुरू कर देते हैं. 


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मुस्लिम बनाते हैं कांवड़


जो राजमिस्त्री, बढ़ई और मजदूर साल भर दूसरे काम करते हैं, वह कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले कांवड़ बनाने में लग जाते हैं. कांवड़ बांस और रंगीन पेपर से बनाया जाचा है. कांवड़ लेकर शिव भक्त हरिद्वार तक पैदल आते हैं और यहां से गंगा का पानी भर कर ले जाते हैं. 


परिवार के सभी लोग बनाते हैं कांवड़


टाइम्स ऑफ इंडिया ने हरिद्वार के एक मुस्लिम शख्स के हवाले से लिखा है कि "हमारे परिवार के बच्चे, औरतें और सभी लोग कांवड़ बनाने में मदद करते हैं. यह हमारे लिए साल का त्योहार है. यहां के परिवार तकरीबन 3 लाख कांवड़ बनाते हैं. इसे हरकी पैड़ी की दुकानों पर भेजा जाता है. कांवड़ बनाने का काम तकरीबन 2 महीना पहले शुरू होता है. हमें लगता है कि कांवड़ यात्रा से पहले तकरीबन 75 से 80 लाख कांवड़ बिक जाते हैं. इन डेढ़ से दो महीनों में एक परिवार 50 हजार से 60 हजार कांवड़ बनाता है."


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कांवड़ कारीगरों की हालत खराब


हालांकि कांवड़ बनाने का काम काफी पेचीदा है. लेकिन इसके लिए कम ही पैसे मिलते हैं. इंदिरा बस्ती से ताल्लुक रखने वाले एक दूसरे मुस्लिम शख्स जुल्फिकार अली का कहना है कि "ज्यादातर कांवड़ कारीगरों का गुजारा करना मुश्लिक है."


क्या है कांवड़ यात्रा?


बता दें कि शिव भक्त निश्चित स्थान से पैदल यात्रा कर हरिद्वार तक पहुंचते हैं. इसके बाद वह हरिद्वार से अपने कंधों पर गंगा जल लाकर सावन के महीने में भगवार शिव को अर्पित करते हैं. भक्त "बम-बम बोले" नारा लगाते हुए जाते हैं. मान्यता है कि जो भी कांवड़ यात्रा पर जाता है उसे अश्वमेघ यज्ञ जितना पुण्य मिलता है. 


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