मुसलमानों के अलावा ये संगठन हैं UCC के खिलाफ, जमकर किया विरोध प्रदर्शन
UCC News: समान नागरिक संहिता के खिलाफ मुस्लिम संगठनों के अलावा कई आदिवासी संगठन भी हैं. यही वजह है कि वह इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
UCC News: जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में समान नागरिक संहिता (UCC) का जिक्र किया है तब से ही यूसीसी पर बहस शुरू हो गई है. कई राजनीतिक दल इसके सपोर्ट में हैं तो कई इसके खिलाफ हैं. अब झारखंड में आदिवासी समन्वय समिति के बैनर तले करीब एक दर्जन आदिवासी संगठनों ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के विरोध में शनिवार को भाजपा मुख्यालय के पास प्रदर्शन किया.
यूसीसी पर आदिवासी
आदिवासी संगठनों के सदस्य राज्य भाजपा मुख्यालय की ओर मार्च करने से पहले रांची के हरमू मैदान में जमा हुए. मार्च के दौरान उन्होंने ‘‘आदिवासियों का शोषण बंद करो’’ जैसे नारे लगाए. हालांकि, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने भाजपा मुख्यालय से पहले ही रोक दिया, जहां उन्होंने लगभग एक घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया. आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने कहा, ‘‘सरकार UCC का प्रस्ताव कर रही है, जो आदिवासियों के अस्तित्व के लिए खतरा है. UCC भारतीय संविधान द्वारा हमें दिए गए आदिवासी परंपरागत कानूनों और अधिकारों को कमजोर कर देगी.’’
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मुस्लिम हैं यूसीसी खिलाफ
आदिवासी संगठनों के अलावा मुस्लिम समाज के लोग भी UCC का विरोध कर रहे हैं. मुससमानों के संगठन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है है कि जिस तरह से आदिवासियों को UCC से अलग रखा जा रहा है उसी तरह से मुसलमानों को भी इस कानून के दायरे से अलग रखा जाना चाहिए. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि "यह बात हम पहले ही कर चुके हैं कि UCC के प्रावधान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत के कानून के तहत नहीं हैं. ऐसे में इसका विरोध जायज है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत पर आधारित है इसलिए कोई भी मुसलमान उसमें किसी भी तरीके के बदलाव को मंजूर नहीं करेगा." बोर्ड ने कहा है कि "इसे (UCC) लेकर राजनीति हो रही है. इस्लाम में लोग इस्लामिक कानूनों से बंधे हुए हैं, इसमें किसी तरह से बहस नहीं हो सकती है.''
UCC पर बोले पीएम
ख्याल रहे कि पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के भोपाल में एक प्रोग्राम में UCC की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि ‘‘हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा. फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है.’’
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