Waqf Board Amendment Bill 2024: पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार आज यानी 8 अगस्त को संसद में वक्फ बोर्ड से संबंधित दो संशोधन बिल पेश करेगी. केंद्र सरकार इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड के संपत्ति समेत कई अधिकारों पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाने की तैयारी में है. पहले बिल के जरिए वक्फ कानून 1955 में अहम संशोधन लाए जाएंगे, वहीं दूसरे बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 को खत्म किया जाएगा. इस बीच विपक्षी और मुस्लिम नेताओं में सरकार के खिलाफ नाराजगी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बिल पर बीजेपी के तीन अहम सहयोगी दल JDU, TDP और LJP का क्या रुख है. 


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बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी TDP का रुख
तेलुगू देशम पार्टी (TDP) का मुस्लिम कोर वोटर हैं. इसलिए TDP मुसलमानों के मुद्दे को लेकर फ्रंट फूट पर खेलती है. चाहे मुस्लिम रिजर्वेशन की बात हो या हज यात्रा की बात हो. हाल में ही सूबे के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने हज यात्रियों को 1 लाख रूपये देने का ऐलान किया था. वहीं, उनके बेटे नारा लोकेश ने भी मुस्लिम रिजर्वेशन का समर्थन किया था. ऐसे में सवाल यह है कि क्या टीडीपी वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का समर्थन करेगी? 


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राजनीतिक जानकारों ने क्या कहा?
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर चंद्रबाबू नायडू का अभी तक स्टैंड साफ नहीं है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना ​​है कि टीडीपी इस बिल का खुलकर विरोध नहीं करेगी, क्योंकि कई मौकों पर टीडीपी ने खुलकर बीजेपी का समर्थन किया है. वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर टीडीपी राज्यसभा में भी इस बिल का विरोध करेगी है तो कोई हैरानी की बात नहीं है. क्योंकि, अगर मुस्लिम मतदाता नाराज हो गए तो अगले विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू का सफाया हो जाएगा. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है. क्योंकि, कर्नाटक में जेडीएस बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही थी, लेकिन इस बार मुस्लिम मतदाताओं ने जेडीएस का साथ नहीं दिया. जिसके चलते वह लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारी.


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JDU का क्या है रुख
जेडीयू और बीजेपी के बीच पहली बार गठबंधन साल 2005 में हुआ था. वे अभी भी गठबंधन में हैं. हालांकि, दोनों के बीच गठबंधन दो बार टूट चुका है. क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाया था. उस वक्त नीतीश कुमार नाराज हो गए थे. नीतीश कुमार इसलिए नाराज हुए, क्योंकि साल 2002 में गुजरात में दंगा हुआ था. दंगों का आरोप गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी पर लगा था. इसलिए नीतीश कुमार मुस्लिम वोटरों की नाराजगी का सामना नहीं करना चाहते थे. यही वजह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. 


नीतीश कुमार का स्टैंड नहीं है साफ
हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने भारी जीत हासिल की और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी. इसके बाद 2017 में फिर बीजेपी और जेडीयू ने गठबंधन किया, लेकिन कई मुद्दों पर खासकर मुसलमानों को लेकर नीतीश कुमार का स्टैंड साफ रहा. फिर चाहे वो मदरसों का मामला हो या कोई और मुद्दा. नीतीश कुमार ने हमेशा मुसलमानों के हक में खुलकर बात की है. वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर नीतीश कुमार का स्टैंड क्या है ये साफ नहीं है. हालांकि, इस बिल का जेडीयू के अंदर ही विरोध होने लगा है. जेडीयू के पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल ने कहा कि नीतीश कुमार को केंद्र सरकार के इस बिल का विरोध करना चाहिए. ऐसे में कुछ जानकारों का मानना ​​है कि नीतीश कुमार इस बिल का विरोध नहीं करेंगे. क्योंकि अभी तक नीतीश कुमार की पार्टी का स्टैंड साफ नहीं है.


LJP (रामविलास) का क्या है रुख
लोजपा भले ही मोदी कैबिनेट का हिस्सा रही हो, लेकिन लोजपा प्रमुख दिवंगत रामविलास पासवान ने कभी मुस्लिम मुद्दों पर समझौता नहीं किया. 2002 में जब गुजरात दंगे हुए थे, तब रामविलास पासवान ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. अब लोजपा दो धड़ों में बंट चुकी है. दोनों गुट भाजपा के साथ हैं, लेकिन लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान मोदी सरकार के मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं.


रामविलास पासवान के नक्शेकदम पर चलते हैं चिराग
रामविलास पासवान के नक्शेकदम पर चलते हुए चिराग पासवान भी कई बार मुसलमानों के पक्ष में बोल चुके हैं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने मुसलमानों को लेकर कुछ आपत्तिजनक कहा था, जिस पर चिराग पासवान ने एक इंटरव्यू के दौरान खुलकर बात की थी. उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी को ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए, जिससे एक समुदाय को ठेस पहुंचे. वहीं, लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर चुप्पी साध रखी है. ऐसे में सबकी नजरें चिराग पासवान पर टिकी हैं.