What is Waqf Bill 2024: वक्फ बिल 2024 आज पार्लियामेंट में पेश होने वाला है. आखिर इस बिल के पास होने से क्या होने वाला है और आखिर वक्फ प्रोपर्टी क्या होती हैं. आइये जानते हैं पूरी डिटेल
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What is Waqf Bill 2024: वक्फ बिल को लेकर काफी विवाद छिड़ा हुआ है. केंद्र सरकार आज संसद में वक्फ बिल 2024 पेश करने वाली है, ज वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 को संशोधित करता है. विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रस्ताव का मकसद मुस्लिम समुदाय को उनकी जमीन, संपत्ति और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत गारंटीकृत "धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता" से वंचित करना है. सत्तारूढ़ एनडीए ने बदले में तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड को विनियमित करने की मांग मुस्लिम समुदाय की ओर से ही आती है. अब ऐसे में सवाल आता है कि वक्फ प्रोपर्टी क्या होती है?
यह एक मूवेल या इमूवेबल प्रोपर्टी को संदर्भित करता है जिसे खुदा के नाम पर धार्मिक उद्देश्यों के लिए समर्पित किया जाता है. यह प्रथा दस्तावेज़ीकरण की प्रथा शुरू होने से पहले से ही अस्तित्व में है. इसलिए, लंबे समय से इस्तेमाल में आने वाली प्रोपर्टीज़ को भी वक्फ संपत्ति माना जा सकता है. वक्फ की प्रोपर्टी या तो पब्लिक चैरेटेबल परपज़ के लिए हो सकती है या किसी व्यक्ति के वंशजों को लाभ पहुंचाने के लिए निजी रखी जा सकती है.
वक्फ की प्रोपर्टी गैर-हस्तांतरणीय होती है और हमेशा के लिए ईश्वर के नाम पर रखी जाती है. वक्फ से मिलने वाली कमाई से आम तौर पर शैक्षणिक संस्थानों, कब्रिस्तानों, मस्जिदों और आश्रय गृहों को फंड किया जाता है, जिससे बड़ी तादाद में मुसलमानों को फायदा होता है.
वक्फ बोर्ड एक कानूनी एंटिटी है जिसके नोमिनेटेड मेंबर्स वक्फ संपत्तियों का मैनेजमेंट करते हैं. बोर्ड हर एक संपत्ति के लिए एक कस्टोडियन नियुक्त करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसकी आय का इस्तेमाल इच्छित उद्देश्यों के लिए किया जाए. 1964 में बन सेंट्रल वक्फ काउंसिल पूरे भारत में राज्य स्तरीय वक्फ बोर्डों की देखरेख और सलाह देती है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, यह केंद्र सरकार, राज्य सरकार और वक्फ बोर्डों को उनकी संपत्तियों के मैनेजमेंट पर भी सलाह देती है.
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वह उन्हें वक्फ अधिनियम 1954 की धारा 9(4) के तहत बोर्ड के परफोर्में,, विशेषकर उनके फाइनेशिंयस परफोर्मेंस, सर्वे, राजस्व रिकॉर्ड, वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण, सालाना और लेखा परीक्षा रिपोर्ट आदि के बारे में परिषद को जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश भी दे सकता है.
1995 में एक नया अधिनियम पारित किया गया था और 2013 में इसमें संशोधन किया गया था, ताकि वक्फ बोर्ड को किसी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के लिए दूरगामी अधिकार दिए जा सकें. विवाद होने की कंडीशन में इसका निपटारा कोर्ट की तरफ से किया जाता है. अब सवाल आता है कि आखिर केंद्र सरकार की ओर से पेश किया जा रहा नया बिल क्या है?
- बिल का मकसद वक्फ बोर्डों की अपनी संपत्तियों के मैनेजमेंट की ताकत को कंट्रोल करना और ज्यादा सरकारी रेग्युलेशन का प्रावधान करना है. बिल में किसी भी वक्फ प्रोपर्टी के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी करने का प्रस्ताव है, ताकि संपत्ति का मूल्यांकन किया जा सके.
- इसमें यह भी कहा गया है कि "इसके लागू होने से पहले या बाद में वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी.” जिला कलेक्टर यह तय करने के लिए मध्यस्थ होगा कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या सरकारी जमीन है और यह फैसला आखिर होगा.
- एक बार फैसला हो जाने के बाद कलेक्टर राजस्व रिकॉर्ड में जरूरी बदलाव कर सकता है और राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप सकता है. बिल में यह भी कहा गया है कि जब तक कलेक्टर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देता, तब तक ऐसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा.
- अगर किसी मामले में डिस्यूट होता है तो यह मामला हाई कोर्ट के सामने जाएगा.
- मौजूदा वक्त में, किसी संपत्ति को वक्फ माना जा सकता है, भले ही उसकी मूल घोषणा संदिग्ध या विवादित हो. यह प्रावधान इस्लामी कानून के तहत दिया गया था, वक्फ के रूप में संपत्ति का समर्पण काफी हद तक मौखिक था, जब तक कि दस्तावेज़ीकरण (वक्फनामा) मानक मानदंड नहीं बन गया.
- बिल में ऐसे प्रावधानों को हटाने की कोशिश की गई है, इसलिए वैध वक्फनामा के अभाव में वक्फ संपत्ति को संदिग्ध या विवादित माना जा सकता है. जिला कलेक्टर के जरिए आखिरी फैसला अंलिए जाने तक संपत्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.