सिर्फ मीट ही तक सीमित नहीं है हलाल मार्क, हिंदू कारोबारियों को इससे क्या है नुकसान, डिटेल में जानें
हलाल मार्क को लेकर पूरे भारत में विवाद फैल गया है. सोशल मीडिया पर हलाल उत्पादों से जुड़ी कई अफवाहों और दावों में कितनी सच्चाई है?, इस लेख में जानिए ये पूरा विवाद है क्या?
योगी सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स के प्रोडक्शन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर बैन लगा दिया. इसके बाद प्रदेश में खाद्य एवं औषधि विभाग काफी एक्टिव हो गया है. अलग- अलग जिलों में खाद विभाग की टीम दुकानों, मॉल, होटल, रेस्ट्रां, और मेडिकल स्टोर पर रेड कर हलाल प्रोडक्ट के नमूने ढूंढ रही है. उसके पाए जाने पर कारोबारी के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर रही है.
इस विवाद के इस बैन के बाद सोशल मीडिया पर हलाल उत्पादों से जुड़ी कई अफवाहें और गलत दावे वायरल हो रहे हैं. क्या मुसलमानों को तेल, चीनी भी हलाल सर्टिफाइड चाहिए ? कौन और क्यों बेच रहा है ऐसे हलाल प्रोडक्ट ? ऐसे ही हलाल सर्टिफिकेट से जुड़े आपके कई सवाल और डाउट्स को इस लेख में क्लियर करने की कोशिश करेंगे.
हलाल क्या होता है ?
दरअसल, हलाल अरबी भाषा का एक शब्द है, जिसका मतलब होता है 'जायज' या 'Permissible'होना. यानी जिसे मुसलमानों को खाने और पीने में धार्मिक तौर पर कोई मनाही नहीं है. हलाल प्रोडक्ट्स में वो सभी चीज़े आ जाती है जिनको इस्लाम के स्टंडर्ड के मुताबिक बनाया जाता है. उनके प्रोडक्शन प्रोसेस में या उनके अंदर कोई भी ऐसी चीज शामिल नहीं होती है जिसको इस्लाम में खाने-पीने के लिए मना किया गया है या हराम बताया गया हो.
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हराम क्या होता है ?
हराम भी एक अरबी भाषा का ही शब्द है जिसका मतलब है 'निषिद्ध' यानी 'Forbidden'. ये हलाल का उल्टा है, यानी की ऐसी कोई भी चीज या काम जिसको इस्लाम में मना किया गया है. जैसे चोरी, झूठ, बेईमानी, बलात्कार, और शराब के सेवन को इस्लाम में हराम बताया गया है. वैसे ही, इस्लाम में मरे हुए जानवर, हिंसक और मांसहारी जंगली जानवर, कुत्ता, बिल्ली, शेर, बाघ, सूअर के मांस को हराम करार दिया गया है. यानि ये इंसान के लिए निषिद्ध किया गया है. क्या खाना है क्या नहीं खाना है, इस्लाम में इसकी पूरी जानकारी दी गई है.
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डेली उपभोक्ता वस्तु में हलाल और हराम का क्या है मतलब ?
भारत में लोग हलाल को सिर्फ मीट से जोड़ कर ही देखते हैं, तो लोगों के मन में ये सवाल भी है कि हलाल सर्टिफिकेट कॉस्मेटिक,दवाई, वेजिटेरियन फूड और परफ्यूम जैसे डेलीयूज प्रोडक्ट्स पर आखिर क्यों होता है?
नॉन-मीट प्रोडक्ट्स में हलाल मार्क क्यों ?
दरअसल, कई खाने के प्रोडक्ट्स में Gelatin, Glycerine मिला होता है. ऐसे ज्यादातर प्रोडक्ट्स में सूअर की चर्बी मिली होती है. इसी तरह कई pharmaceutical और cometics प्रोडक्ट्स में भी Animal by ingredients का इस्तेमाल किया जाता है. कई परफ्यूम में एल्कोहल मिला होता है. इन सभी चीजों को इस्लाम में हराम बताया गया तो इनसे बनने वाले प्रोडक्ट्स भी मुसलमानों को लिए हराम हो जाते है. अगर इन डेली यूज प्रोडक्ट्स पर हलाल सर्टिफिकेट है, तो इसका मतलब ये हुआ कि इसमें कोई भी ऐसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया है जिसकी इस्लाम में मनाही है.
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हलाल सर्टिफिकेट क्या होता है और कौन इसे जारी करता है?
मीडिल ईस्ट और मुस्लिम देश में हलाल सर्टिफिकेट देने का काम वहां की कोई सरकारी बॉडी ही करती है. लेकिन भारत में हलाल सर्टिफिकेट देने के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं है. भारत में करीब एक दर्जन प्राइवेट बॉडीज है जो ये काम करती है. और इनमें से कई का सर्टिफिकेट सऊदी अरब और UAE जैसे देशों में भी मान्य होता है. इनमें हलाल इंडियां PVT LTD., Halal cirtification service of India, jamiat ulema i hind halal trust प्रमुख हैं.
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क्यों चाहिए हलाल सर्टिफिकेट ?
अब सवाल आता है, जब हालाल सर्टिफिकेट सिर्फ मुस्लिम और इस्लामिक मान्यताओं के लिए दिया जाता है, तो भारत जैसे देश की पतंजली, डाबर और बाकी वो सभी कंपनिया जिनके मालिक मुसलमान नहीं है, वह क्यों अपने प्रोडक्ट्स हलाल सर्टिफाई करा रहीं है? इसका सीधा ताल्लुक बाज़ार, प्रतिस्पर्धा और मुनाफे से है. इसलिए डोमिनोज, पिजा, और KFC जैसे मल्टी नेशनल ब्रांड भी हलाल प्रोडक्ट के साथ अपना माल बेचते हैं.
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हलाल सर्टिफिकेट है मजबूरी
दरअसल, दुनिया भर में इस्लाम धर्म को मानने वाले 1.8 Billion से भी ज्यादा लोग हैं, और ये वर्ल्ड पोपुलेशन का करीब 24.1% है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की टोटल फूड मार्केट में करीब 19% शेयर हलाल फूड प्रोडक्ट्स का है, जो लगातार बढ़ रहा है और ये इंडस्ट्री 2.3 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा बड़ी हो चुकी है. ऐसे में कोई भी कम्पनी इतनी बड़ी उपभोक्ता मार्किट को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकती है. इसलिए कंपनियों को इस मार्केट में अपने प्रोडक्ट्स बेचने के लिए उनको इस्लामी स्टेंडर्ड पर बनाना और बताना जरूरी हो जाता है.
इन्हीं वजहों से कंपनिया अपने प्रोडक्ट्स को हलाल सर्टिफाई कराती है, ताकि उसे मुस्लिम देशों में एक्सपोर्ट किया जा सके. अकेला भारत में ही वर्ल्ड की टोटल मुस्लिम पोप्यूलेशन की करीब 11% फीसदी अबादी रहती है, जिससे आप अंदाजा लगा सकते है भारत खुद में हलाल प्रोडक्ट्स की कितनी बड़ी मार्केट है.
इस विवाद की वजह क्या है?
अब इस बात का फायदा सभी कंपनियां उठाना चाह रही है. वो कई गैर-ज़रूरी प्रोडक्ट को भी हलाल- मार्का के साथ बेच रही है. इसपर कुछ दक्षिण पंथी हिन्दू संगठनों ने ऐतराज किया है कि ऐसे उत्पादों से उनकी आस्था आहत हो रही है. उनका ये भी इलज़ाम है कि इस हलाल प्रोडक्ट से देश का इस्लामीकरण किया जा रहा है..