Laborers stuck in Saudi Arab: सऊदी अरब में फंसे झारखंड के 45 मजदूरों का खाना-पानी अब खत्म हो गया है और कंपनी ने किचन के दरवाजे में ताला लगा दिया है. भारतीय दूतावास ने तीन दिनों के लिए उन्हें खाना-पीना उपलब्ध कराया था. प्रवासी मजदूरों की मदद करने वाले समाजसेवी सिकंदर अली को पिछले 6 दिसंबर को वाट्सएप कॉल के माध्यम से कहा था कि 11 मई 2023 को सभी मजदूर कॉमर्शियल टेक्नोलॉजी के ट्रांसमिशन लाइन में काम करने कॉन्ट्रैक्ट पर सऊदी अरब गये थे.


मजदूरों ने वीडियो बनाकर सरकार से लगाई मदद की गुहार


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सिकंदर अली ने बताया कि मजदूरों को सऊदी भेजने के बदले में बतौर कमीशन 55 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा. काम के बदले लाइनमैन को 1500 रियाल, हेल्पर को 1100 रियाल के अलावा ओवरटाइम के लिए 750 रियाल और खाने-पीने के लिए अलग से 300 रियाल देने का आश्वासन मिला था, लेकिन सात महीना काम करवाकर कंपनी ने सिर्फ दो महीने की मजदूरी का भुगतान किया. बचे हुए भुगतान के लिए टालमटोल रवैया अपना रही है. इसके बाद मजदूरों ने हड़ताल ने कर दी तो कंपनी ने उन्हें खाना-पीना देना बंद कर दिया है. जिसे लेकर सउदी अरब में फंसे मजदूरो ने तीसरा वीडियो बनाकर सरकार से मदद की गुहार लगायी है. 


सिकंदर अली ने क्या कहा?


प्रवासी मजदूरो के हित में काम करने वाले सिकंदर अली ने भारत सरकार और राज्य सरकार से मजदूरों की मदद करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि रोजगार के अभाव में झारखंड में आए दिन कहीं न कहीं से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. लोग रोजी रोटी की तलाश में विदेश जाते हैं, वहां उनको यातनाएं झेलनी पड़ती हैं. ऐसे हालात में मजदूर बड़ी मुश्किल से अपने वतन लौट पाते हैं. ऐसे सरकार को मजदूरों का पलायन रोकने के लिए रोजगार की व्यवस्था करने की जरूरत है. 


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