Iranian President Ebrahim Raisi Pakistan Visit: सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि, मिडिल-ईस्ट में बढ़ती कशीदगी के दरमियान ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी जल्द ही पाकिस्तान के दौरे पर रवाना होंगे. खबरों के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति  22 अप्रैल को पाकिस्तान का दौरा करेंगे और इस मौके पर वो पीएम शहबाज शरीफ, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और फौजी नेतृत्व के साथ एक अहम मीटिंग करेंगे. जराए के मुताबिक, राष्ट्रपति रायसी की यात्रा के एजेंडे में द्विपक्षीय संबंध, सुरक्षा सहयोग, एक गैस पाइपलाइन समेत कई समझौते शामिल हैं। जियो न्यूज के मुताबिक, 63 साल के लीडर का यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जबकि ईरान ने शनिवार देर रात इजरायल पर 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया था.


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ईरान के हमले को उस वाक्य से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें सीरिया के ईरानी वाणिज्य दूतावास में एक अप्रैल को हुए हवाई हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के दो सीनियर कमांडरों समेत कई लोग हलाक हो गए थे, जिसके बाद ईरान ने बदला लेने का इरादा कर लिया था. वहीं, ईरान ने इस हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया हाथ होने का आरोप लगाया था. ईरान के प्रेसिडेंट का पाकिस्तान दौरा इसलिए भी काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि, यह पाकिस्तान और ईरान के जरिए अपने रिश्तों को गहरा करने की चल रही कोशिशों के बीच हो रहा है. 



ईरान ने सोमवार को घोषणा की कि वे ईरानी बलों द्वारा जब्त किए गए जहाज पर फंसे पाकिस्तानियों को उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि और दोनों देशों के बीच भाईचारे के संबंधों के कारण कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रिहा कर देंगे.
वहीं, रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि, जनवरी में, ईरान के सरहद पार हमलों के जवाब में पाकिस्तान ने ईरानी इलाके के अंदर दहशतगर्दों को निशाना बनाने के लिए किलर ड्रोन और रॉकेट का इस्तेमाल करके सटीक हमले किए थे. ईरानी स्टेट मीडिया ने बताया था कि, पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे में सुन्नी बलूच दहशतगर्दाना ग्रुप 'जैश अल-अदल' के दो ठिकानों को मिसाइलों और ड्रोन से निशाना बनाया गया. जैश अल-अदल, या  'न्याय की सेना' 2012 में कायम किया गया एक बलूच सुन्नी दहशतगर्दाना ग्रुप है जो बड़े पैमाने पर पाकिस्तान में ऑपरेट होता है.



जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की संजीदगी को देखते हुए पाकिस्तान ने ईरान से अपने ऐंबेस्डर को भी वापस बुला लिया था और ऐलान किया था कि वह ईरान द्वारा अपनी संप्रभुता की खिलाफवर्जी की मुखालेफत में अपने मुल्क का दौरा कर रहे ईरानी दूत को वापस लौटने की इजाजत नहीं देगा. हालांकि, दोनों मुल्कों के राजदूतों के अपने-अपने ओहदों पर लौटने के साथ ही सियासी रिश्तों में जमी बर्फ जल्द ही पिघल गई.