विदेशों में 12 लाख भारतीय छात्र कर रहे हैं पढ़ाई; देशी मेडिकल छात्रों के सामने है बड़ी चुनौती
सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया है कि लगभग 12 लाख भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर मेडिकल के भी छात्र है. हांलाकि सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन माना जाता है कि आने वाले समय में विदेशों से पढ़ाई करके आए छात्र देशी छात्रों को कड़ी चुनौती दे सकते हैं.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया है कि इस वक्त विदेशों में लगभग 12 लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. इनमें सभी तरह की शिक्षा लेने वाले छात्र शामिल हैं. हालांकि, सरकार के पास इस बात का कोइ्र आंकड़ा नहीं है कि विदेशों में चिकित्सा पाठ्यक्रम करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या कितनी है. लोकसभा में एंटो एंटनी, कृपाल बालाजी तुमाने और भावना गवली के सवालों के लिखित जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने यह जानकारी दी है.
बाहर से आए छात्रों को दो साल मेडिकल इंटर्नशिप करना जरूरी होगा
मंत्री ने बताया कि भारतीय दूतावास विभिन्न देशों में भारतीय छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों, स्थानीय प्रशासन, विश्वविद्यालयों/संस्थानों सहित संबंधित अथॉरिटी के साथ नियमित सम्पर्क में रहता हैं. इसके अलावा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने एक प्लन तैयार किया है जिसके तहत कोविड-19 के दौरान और रूस-यूक्रेन संघर्ष की वजह से विदेशी चिकित्सा संस्थानों में पढ़ाई छोड़ने वाले भारतीय छात्रों की समस्याओं को हल करने की कोशिश की जा रही है. पवार ने कहा कि ऐसे भारतीय छात्र जो 30 जून 2022 तक स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम की पढ़ाई पूरी कर ली है और जिन्हें संबंधित संस्थान द्वारा पाठ्यक्रम/डिग्री पूरा करने का प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया है, उन्हें विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा में बैठने की इजाजत है. हालांकि विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा पास करने वाले ऐसे विदेशी चिकित्सा स्नातकों को क्लिनिकल प्रशिक्षण की भरपायी करने के लिए अपने देश में दो वर्ष की अवधि के लिये अनिवार्य क्रमिक मेडिकल इंटर्नशिप से गुजरना जरूरी होगा.
नौकरी और काम के भी लाले पड़ेंगे
गौरतलब है कि बड़े पैमाने पर भारतीय छात्र विदेशों से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि, सरकार के पास इस बात का कोई आंकड़ा नहीं है कि कितने छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन गैर-सरकारी संगठनों, संस्थानों और कंसल्टेंसी की माने तो हर साल लाखों की तादाद में भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेशों का रुख कर रहे हैं. खास बात यह है कि एक तरफ जहां बाहर से मेडिकल की पढ़ाई करके आने वालों का भविष्य सुरिक्षत नहीं है, वहीं विदेशों में थोक भाव में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को लेकर भारत के छात्रों में भी एक असुरक्षा बोध पनप रहा है. कई छात्र मानते हैं कि इससे आने वाले दिनों में मेडिकल पेशे में प्रतिस्पर्द्धा बढेगी. नौकरी और काम के भी लाले पड़ेंगे.
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