नई दिल्लीः अफ्रीकी संघ शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले मुल्कों के समूह जी-20 का स्थाई सदस्य बन गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को खिताब करते हुए 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ को नए सदस्य के तौर पर शामिल किए जाने का ऐलान किया. इसके बाद कोमोरोस संघ के राष्ट्रपति और अफ्रीकी संघ (एयू) के अध्यक्ष अजाली असौमानी ने जी-20 के स्थाई सदस्य के तौर पर अपनी सीट पर आकर बैठे.


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इस मौके पर मोदी ने कहा, ‘‘सबका साथ की भावना को ध्यान में रखते हुए, भारत ने अफ्रीकी संघ को जी-20 की स्थाई सदस्यता प्रदान किए जाने का प्रस्ताव पेश किया. मेरा विश्वास है कि हम सब इस प्रस्ताव पर सहमत हैं. आपकी सहमति से....."उन्होंने कहा, ‘‘अपना काम शुरू करने से पहले, मैं एयू के सद्र को स्थाई सदस्यता ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करता हूं.’’ 



गौरतलब है कि भारत पिछले कुछ सालों से खुद को विकासशील देशों खासतौर पर अफ्रीकी महाद्वीप की समस्याओं, चुनौतियों और  आकांक्षाओं को आवाज देने में एक प्रमुख देश की भूमिका निभा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 में एयू की सदस्यता के मुद्दे को प्रमुखता से उठाते रहे हैं. जून में मोदी ने जी-20 नेताओं को चिट्ठी लिखकर नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान एयू को पूर्ण सदस्यता देने की वकालत की थी.


जुलाई में कर्नाटक के हम्पी में हुई तीसरी जी-20 शेरपा बैठक के दौरान इस प्रस्ताव को औपचारिक तौर पर शिखर सम्मेलन के लिए मसौदा में शामिल किया गया था.


भारत शुरू से रहा है अफ्रीकी यूनियन का समर्थक 
गौरतलब है कि एयू अफ्रीकी महाद्वीप के 55 मुल्कों का एक प्रभावशाली संगठन है. इस माह की शुरुआत में मोदी ने कहा था कि अफ्रीका भारत के लिए ‘शीर्ष प्राथमिकता’ है, और वह वैश्विक मुद्दों पर उन्हें शामिल करने के लिए काम करता है, जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही.


जी-20 में कौन-कौन देश हैं शामिल 
जी-20 की स्थापना 1999 में की गई थी, जिसमें भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे देश शामिल हैं. 


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