Ajmer News: अजमेर की एक अदालत ने मंगलवार को मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के गेट से भड़काऊ नारे लगाने के सभी छह आरोपी को बरी कर दिया है. आरोपियों ने यह बयान निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा की 2022 में पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के बाद दिया था. आरोप है कि आरोपी ने सर तन से जुदा का नारा लगाया था.


सरकारी वकील ने दी जानकारी


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सरकारी वकील गुलाम नजमी ने बताया कि मामले में आरोपी अजमेर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती, ताजिम सिद्दीकी, फारूक जमाली, नासिर, रियाज हसन और मोइन को अदालत ने बरी कर दिया है. उन्होंने कहा,"सभी आरोपियों को सभी धाराओं के तहत बरी कर दिया गया है. आदेश की जांच के बाद फैसले के खिलाफ अपील की जाएगी."


यह मुकदमा अजमेर में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत में चल रहा था. चिश्ती पर 17 जून 2022 को नुपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ मुस्लिम समुदाय की एक रैली से कुछ समय पहले, दरगाह के निज़ाम गेट से पुलिस की मौजूदगी में अभद्र भाषण देने का आरोप लगाया गया था. मामला दर्ज किया गया और मुख्य आरोपी गौहर को जुलाई 2022 में हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया था.


क्या है पूरा मामला?


मामला 17 जून 2022 का है जब मौन जुलूस के दौरान भड़काऊ भाषण देने के बाद खादिम गौहर चिश्ती फरार हो गया था. उसे हैदराबाद में अहसानुल्लाह ने शरण दी थी. पुलिस ने गौहर चिश्ती को पकड़ लिया लेकिन अहसानुल्लाह फरार है. रिपोर्ट में बताया था कि 17 जून को दोपहर करीब 3 बजे उनकी ड्यूटी निजाम गेट पर थी. उस दौरान मौन जुलूस निकाला जा रहा था. तब प्री-प्लान तरीके से कुछ खादिमों ने भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया. उन्होंने रिक्शे पर लाउड स्पीकर लगाकर सिर तन से जुदा के नारे लगाए.


इस पूरे प्रकरण का एक वीडियो भी सामने आया था. इस घटना के कुछ दिन बाद ही उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड की वारदात सामने आई थी. जांच में जुटी NIA ने अजमेर दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती को रडार पर लिया था. भड़काऊ भाषण व नारेबाजी के बाद खादिम गौहर चिश्ती ने उदयपुर यात्रा की थी. जिला पुलिस SIT और पुलिस के गुप्तचर शाखा से NIA अधिकारियों ने गौहर की गतिविधियों के बारे में फीडबैक लिया था.


इसके साथ ही गौहर की कुछ पुरानी संदिग्ध फोटो भी सामने आई थी, जिसमें गौहर चिश्ती CRPF परिसर का VIDEO बनाते हुए दिख रहा था. हालांकि पूछताछ में गौहर चिश्ती से कुछ सामने नहीं आया था. कोर्ट का फैसला सामने आने के बाद अब सरकारी वकील ने पूरे फैसले का अध्ययन करने के बाद इसे उच्च न्यायलय में चुनौती देने की बात कही है.