लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सभी निजी स्कूल अब राइट टू इनफार्मेशन एक्ट (Right to Information Act, 2005) के दायरे में होंगे और उन्हें RTI के तहत मांगी गई जानकारी लाज़िमी तौर पर फराहम करनी होगी.  इससे प्राइवेट स्कूल (Private Schools In UP Under RTI Purview) से जानकारी हासिल करने में पाने में स्टूडेंट्स और उनके सरपरस्तों को इधर-उधर भटकने से राहत मिलेगी.


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स्टेट इनफार्मेशन कमीशन (SIC) ने यह हुक्म जारी किया है और स्टेट इनफार्मेशन कमीशनर प्रमोद कुमार तिवारी ने भी अपने आदेश में निजी स्कूलों में पब्लिक इनफार्मेशन ऑफिसर की नियुक्ति करने को कहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि प्राइवेट स्कूल (Private Schools) आरटीआई अधिनियम के दायरे में होने चाहिए,और यह काफी वक्त से बहस का विषय रहा है.


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लखनऊ के दो मशहूर प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) के सिलसिले में संजय शर्मा की तरफ से दायर एक अपील के बाद, एसआईसी ने चीफ सेक्रेटरी को निजी स्कूल प्रशासकों को हुक्म देने के लिए कहा कि वे राइट टू इनफार्मेशन एक्ट (Right to Information Act, 2005) के तहत लोगों को जानकारी हासिल करने की सहुलत के लिए ऑफिसर नियुक्त करें.


अब तक निजी स्कूलों ने आरटीआई के तहत इस बुनियाद पर जानकारी नहीं दी है कि वे रियासत की तरफ से मामली इमदाद नहीं पाते थे, और राइट टू इनफार्मेशन एक्ट (Right to Information Act, 2005) के दायरे से बाहर है. 


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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अगर किसी शहर का डेवलपमेंट अथॉरिटी किसी निजी स्कूल को रियायती दरों पर ज़मीन फराहम करता है, तो स्कूल को यकीनी तौर पर रियासत की तरफ से माली इमदाद हासिल करने वाला समझा जाएगा.


एसआईसी ने यह भी कहा कि डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर, अर्ज़ीगुज़ारों को फॉर्म में मांगी गई सभी जानकारियों को देने के लिए पाबंदे अहद हैं.
(इनपुट- आईएएनएस से साथ भी)


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