अगस्त 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के हाशिमपुर इलाके के एक अर्जीगुज़ार की अर्ज़ी पर ध्वनि प्रदूषण को लेकर सख्त आदेश दिया था.
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नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के उत्तर प्रदेश में डीजे पर लगाई गई पाबंदी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने (Lifted Ban on DJ) हटा दिया है. साल 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शोर-शराबे को वजह बताते हुए डीजे बजाने पर पाबंदी आयद की थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने डीजे बजाने वालों को राहत देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और हुक्म दिया कि रियासती हुकूमत की तरफ से बनाए गए नियमों के मुताबिक लाइसेंस लेकर ही डीजे बजाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने यूपी के डीजे बजाने वालों को राहत देते हुए कहा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पहले दी गई हिदायात पर अमल करना होगा. रियासती हुकूमत के तरफ से बनाए गए नियमों के मुताबिक लाइसेंस लेकर ही डीजे बजाया जाए.
हाईकोर्ट ने दिया था ध्वनि प्रदूषण को लेकर सख्त हुक्म
अगस्त 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के हाशिमपुर इलाके के एक अर्जीगुज़ार की अर्ज़ी पर ध्वनि प्रदूषण को लेकर सख्त आदेश दिया था. अर्जीगुज़ार ने कांवड़ यात्रा के दौरान अपने घर के पास लगाए गए एक एलसीडी का मसला कोर्ट में रखा था. अर्ज़ी में बताया गया था कि सुबह 4 बजे से 12 बजे रात तक डीजे बजता रहता है. इससे उनकी 85 साल की मां को पेरशानी होती है.
इस अर्जी पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि अगर आदेश के बाद भी डीजे बजेगा तो उसके लिए मुतअल्लिका थाना इंचार्ज जिम्मेदार माना जाएगा. साथ ही इस हिदायत को न मानने वाले पर 5 साल कैद के साथ एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाए जाने का हुक्म दिया था.
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डीजे बजाने वालों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दर्वाज़ा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने डीजे संचालकों को इससे पहले अक्टूबर 2019 में अंतरिम राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई थी और आज सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को हटा दिया.
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