नई दिल्लीः विमानन नियामक डीजीसीए के जरिए बुध को जारी मसौदा नियमों के मुताबिक चालक दल के सदस्यों, हवाई यातायात नियंत्रकों और विमान रखरखाव इंजीनियरों सहित विभिन्न विमानन कर्मियों का उनके नियोक्ताओं द्वारा भांग, कोकीन जैसे मादक पदार्थों के लिए परीक्षण किया जाएगा. मसौदा नियमों में कहा गया है कि ऐसे पदार्थों के उपयोग का दुनिया भर में प्रसार, उनकी आसानी से उपलब्धता और लत विमानन सुरक्षा के लिए एक गंभीर चिंता है. नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के मसौदा नियमों में कहा गया है कि विमानन कंपनियों और हवाई नौवहन सेवा प्रदाताओं को हर साल कम से कम पांच प्रतिशत ऐसे कर्मचारियों का औचक निरीक्षण करना होगा जो चालक दल में हैं या हवाई यातायात नियंत्रक हैं.


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24 घंटे के भीतर ऐसे कर्मचारियों की डीजीसीए को देनी होगी सूचना 
मसौदा नियमों में जिक्र किया गया है कि वाणिज्यिक विमान ऑपरेटरों, रखरखाव और मरम्मत संगठनों, उड़ान प्रशिक्षण संगठनों तथा हवाई नौवहन सेवा प्रदाताओं को भी किसी भी व्यक्ति को नियुक्त करने या प्रशिक्षु पायलट को भर्ती करने से पहले ऐसे परीक्षण करने होंगे. इन संगठनों को उन सभी विमानन कर्मियों का भी परीक्षण करना होगा जिन्होंने किसी देश में उड़ान संचालन के दौरान विदेशी नियामक को परीक्षण से इनकार कर दिया है. जब किसी विमानन कर्मी के मादक पदार्थ संबंधी जांच में इस्तेमाल की पुष्टि होती है तो 24 घंटे के भीतर उसकी जानकारी डीजीसीए को देनी होती है.

लाइसेंस और नौकरी से धोना होगा हाथ
डीजीसीए के नए नियम के मुताबिक अगर विमानन कंपनियों में काम करने वाला कोई भी कर्मचारी जांच में ड्रग पाॅजिटिव पाया जाता है तो उसे पुनर्वास केंद्र में इलाज के लिए भेजा जाएगा. मेडिकल आॅफिसर के निर्देश और ड्रग निगेटिव आने पर ही उसे दोबारा काम पर रखा जाएगा. यदि कोई स्टाफ दोबारा ड्रग पाॅजिटिव पाया जाता है तो उसके विमान उड़ाने का लाइसेंस तीन साल के लिए रद्द कर दिया जाएगा और नौकरी से तीन साल के लिए सस्पेंड कर दिया जाएगा. तीसरी बार ऐसी गलती पकड़े जाने पर सीधा नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.


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