Saran News: लोकसभा इलेक्शन के 5वें फेज में यूं तो बिहार में कई दिग्गज नेताओं की भविष्य दांव पर है, लेकिन सारण लोकसभा सीट ऐसी है, जहां दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है. दरअसल, NDA की तरफ से बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप सिंह रूडी को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं महागठबंधन की तरफ से राजद के चीफ लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य चुनावी दंगल में हैं. इस रोचक मुकाबले पर बिहार ही नहीं बल्कि पूरी देश की निगाहें टिकी है. 


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इस इलेक्शन में बीजेपी कैंडिडेट राजीव प्रताप रूडी के सामने के  सामने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं रोहिणी आचार्य के सामने अपने पिता की पुरानी विरासत को पाने की चुनौती है. 'सम्पूर्ण क्रांति' के जनक जयप्रकाश नारायण की कर्मभूमि रहे सारण की राजनीति में लालू प्रसाद लंबे वक्त तक केंद्र बिंदु बने रहे. इस क्षेत्र का पार्लियामेंट में चार बार प्रतिनिधित्व करने वाले लालू परिवार के लिए यह परंपरागत सीट मानी जाती रही है. हालांकि बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी भी यहां से चार बार सांसद चुने गए हैं.


यदुवंशी और रघुवंशी की है लड़ाई
सारण लोकसभा सीट की विशेषता रही है कि यहां पार्टियां भले ही अपने कैंडिडेट को चुनाव मैदान में उतारती हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला यदुवंशी और रघुवंशी के बीच का ही होता है. दलों के हिसाब से देखें तो उपजाऊ और समतल इलाके के रूप में मशहूर सारण संसदीय क्षेत्र के चुनावी संग्राम में महागठबंधन की तरफ से राजद और बीजेपी के बीच आमने -सामने की लड़ाई है. सारण संसदीय क्षेत्र में मढ़ौरा,  अमनौर, परसा छपरा, गरखा और सोनपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इसमें से 4 विधानसभा क्षेत्र राजद के जबकि दो पर बीजेपी का कब्जा है.


पिछले लोकसभा इलेक्शन में चंद्रिका राय की हुई थी हार
पिछले लोकसभा इलेक्शन में सारण लोकसभा सीट से बीजेपी के रूडी ने राजद के चंद्रिका राय को हराया था. उस इलेक्शन में रूडी को जहां 53 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे, वहीं चंद्रिका राय को 38 फीसद वोटों से ही संतोष करना पड़ा था. करीब 18 लाख वोटर्स वाले सारण में 2024 लोकसभा इलेक्शन के लिए बीजेपी ने एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी पर दांव खेला है. वहीं, महागठबंधन की तरफ से राजद ने लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है.


छपरा का नहीं बदला है मिजाज
छपरा संसदीय क्षेत्र का नाम बदलकर भले ही सारण कर दिया गया हो, लेकिन छपरा का मिजाज अब तक नहीं बदला है. शुरुआत से ही इस इलाके में जीत-हार का निहितार्थ जातीय दायरे के इर्द-गिर्द घूमता है. माना जाता है कि यहां पार्टियां नहीं बल्कि जातियां जीतती रही हैं. हालांकि पिछले दो इलेक्शन से नरेंद्र मोदी के नाम का भी असर रहा है. इस सीट से लालू प्रसाद और रूडी चार-चार बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं.