Bihar News: बिहार में शराबबंदी कानून लागू करके हुकूमत भले ही खुद अपनी तारीफ कर रही हो, लेकिन शराबबंदी कानून के बाद भी दूसरे नशीले पदार्थों की बिक्री बढ़ने की बात भी सामने आ रही है. वैसे, शराबबंदी कानून कितना कामयाब है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपोजिशन इसकी असफलता को लेकर बराबर इल्जाम लगाता रहा है. कहा जा रहा है कि नशे की खपत शहरों में ही नहीं गांव तक पहुंच रही है. ऐसा नहीं कि पुलिस इसे लेकर अलर्ट नहीं है, लेकिन लोगों तक नशे की खपत पहुंचाने वाली महिलाओं और बच्चों के शामिल होने से पुलिस की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है.


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दरअसल, नशे की गहरी खाई में ऐसे लोग भी पहुंच रहे हैं जो गांव से कुछ करने की तमन्ना लेकर पटना पहुंचे थे. पटना के नशा मुक्ति केंद्रों में ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें न चाहते हुए भी इस धंधे में धकेला गया है. जब एक बार नशे की लत लग जाए तो फिर वहां से निकलना मुश्किल है. नशा मुक्ति केंद्र में ऐसे कई शिकार मिल जायेंगे जिनकी उम्र 14 से 18 साल के बीच हैं. पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो नशे के खिलाफ पटना पुलिस ने पूर्वी क्षेत्रों में जनवरी 2023 से दिसंबर तक 50 से ज्यादा मामले दर्ज किए है जिसमें 110 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इसमें 48.785 किलोग्राम गांजा, 1836 ग्राम स्मैक, 8022 इंजेक्शन, 45.25 ग्राम अफीम, 321 शीशी कफ सीरप जब्त किया गया है. 



पटना जिला के एक पुलिस ऑफिसर के मुताबिक, नशेबाजों और नशे के स्मगलरों के खिलाफ लगातार कारवाई की जाती है. इसमें कई बार पुलिस को कामयाबी भी मिली है. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले पीरबहोर थाना इलाके से एक नौजवान को स्मैक के साथ गिरफ्तार किया गया. इसके पहले कंकड़बाग इलाके से स्मैक बेचने वाले पति-पत्नी को गिरफ्तार किया गया था. बहरहाल, समय की मांग है कि पेरेंट्स अपने बच्चों पर नजर रखें तभी आने वाली नस्ल को नशे की लत से छुड़कारा दिलाया जा सकता है.