Bihar Caste Census: बिहार में जारी जाति आधारित गणना में थर्ड जेंडर को एक जाति के तौर में दिखाए जाने से गणना को लेकर ताज़ा विवाद सामने आ गया है. प्रत्येक जाति को 15 अप्रैल से 15 मई तक जाति आधारित गणना के महीने भर चलने वाले दूसरे चरण के दौरान उपयोग के लिए एक संख्यात्मक कोड दिया गया है. इस सूची में थर्ड जेंडर को भी एक जाति कोड के आवंटन के साथ एक अलग जाति माना गया है. बिहार स्थित एक स्वयं सेवी संगठन की संस्थापक सचिव रेशमा प्रसाद ने राज्य सरकार की इस कवायद में थर्ड जेंडर को एक अलग जाति मानने के क़दम को आपराधिक कृत्य क़रार दिया है.


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न्यूज़ एजेंसी के सामने अपना तर्क रखते हुए उन्होंने कहा, "किसी की लैंगिक पहचान कैसे हो सकती है. एक मनुष्य उसकी जाति बन जाता है. क्या पुरुष या महिला को जाति के तौर में माना जा सकता है . उन्होंने कहा कि इसी तरह थर्ड जेंडर को जाति के रूप में कैसे माना जा सकता है. ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग किसी भी जाति के हो सकते हैं. रेशमा प्रसाद ने कहा कि यह कदम थर्ड जेंडर व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण से जुड़े क़ानून की ख़िलाफ़वर्ज़ी है जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के गैर भेदभाव को रोकने की बात करता है.



उन्होंने कहा, बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को इस मामले में दख़ल देना चाहिए ताकि किसी व्यक्ति की लिंग पहचान को जाति के तौर पर नहीं माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं यक़ीनी तौर पर इस सिलसिले से में बिहार के सीएम नीतीश कुमार को ख़त लिखकर इस मामले में फौरी तौर पर दख़ल देने की मांग करूंगी. यह थर्ड जेंडर तकब़े के लोगों के साथ सरासर नाइंसाफ़ी है".  ट्रांस अधिकार कार्यकर्ता और थूथुकुडी (तमिलनाडु) के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ग्रेस बानू ने न्यूज़ एजेंसी को बताया कि ट्रांसजेंडर, जो एक लैंगिक पहचान है, को जाति कैसे माना जा सकता है, ट्रांसजेंडर समुदाय में इतनी सारी जातियां हैं. अगर बिहार सरकार को नहीं पता कि ट्रांसजेंडर लोगों की गिनती कैसे की जाती है ,तो हम उसकी मदद करेंगे.


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