Chhawla Rape Case: दिल्ली के छावला इलाक़े में 19 साल की एक लड़की के साथ पहले गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया और फिर उसका क़त्ल कर दिया गया था. यह केस 2012 का था और लड़की उत्तराखंड की रहने वाली थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए तीनों मुल्ज़िमीन को बरी कर दिया है. विक्टिम के वकील चारूवली खन्ना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ नज़्रेसानी की अर्ज़ी (पुर्नविचार याचिका) दायर की जाएगी. सबूतों की बुनियाद पर फैसले में क़ुसूरवारों को बरी किया गया है. इससे पहले निचली अदालत और हाईकोर्ट ने तीनों को फांसी की सज़ा सुनाई थी. 


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तीनों ने सुप्रीम कोर्ट से की थी अपील
लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट ने रवि कुमार, राहुल और विनोद को लड़की को अग़वा, रेप और क़त्ल के अलग-अलग इल्ज़ामात के तहत क़ुसूरवार क़रार देते हुए सज़ा ए मौत का फैसला सुनाया था. इसके बाद इन तीनों ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटने की अपील सुप्रीम कोर्ट में की थी. 7 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने तीन क़ुसूरवारों की मौत पर फैसला महफूज़ (सुरक्षित) रखा था. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि तीनों की मौत की सज़ा बरक़रार रखना है या नहीं. जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सभी फरीक़ैन (पक्षों) की सुनवाई के बाद फैसला महफ़ूज़ रखा था.


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रूह तक को हिला देने वाला मामला
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए तीनों क़ुसूरवारों रवि कुमार, राहुल और विनोद को बरी कर दिया. रूह तक को हिला देने वाले इस मामले में तीनों क़ुसूरवारों को सज़ा ए मौत सुनाई थी. इन तीनों ने फांसी की सज़ा बरक़रार रखने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज दिया था. इस मामले में लड़की के साथ रेप के बाद उसे बेहद तकलीफ़ दी गई थी. लड़की के साथ मार-पीट करके उसके जिस्म को जगह जगह सिगरेट से दाग़ा गया. इसके बाद भी इन ज़ालिम लोगों को चैन नहीं मिला और उन्होंने लड़की के चेहरे को तेज़ाब से जला दिया.


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