नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने  शुक्रवार को वर्ष 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (SIT) द्वारा 2012 में क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने कहा कि वादी इन इल्जामों के समर्थन में पुख्ता सबूत उपलब्ध नहीं करा पाया कि 2002 का गोधरा दंगा किसी आपराधिक साजिश का हिस्सा था. यह याचिका गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दायर की थी.
खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में दो पेज जी न्यूज (Zee News) की एक इंटरव्यू का भी जिक्र किया है, जिसमें जी न्यूज के पत्रकार सुधीर चौधरी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजरात के दंगों को लेकर सवाल पूछे थे. कोर्ट ने जी न्यूज के 1 मार्च 2002 के 10 मिनट के उस इंटरव्यू का उल्लेख किया है, जो गांधी नगर के सर्किट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद लिया गया था.


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सुधीर चौधरी ने इस इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी से चमनपुरा स्थित गुलबर्ग सोसाइटी के नरसंहार को लेकर सवाल पूछे थे, जिसमें कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी समेत कई लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस सवाल के जवाब में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भीड़ ने एहसान जाफरी द्वारा की गई फायरिंग से गुस्सा कर इस घटना को अंजाम दिया था. एडिटर्स गिल्ड की रिपोर्ट में भी सुधीर चौधरी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी ने इंटरव्यू में जो अपने विचार प्रकट किए थे उसका आशय था कि वह इस घटना की क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों के खिलाफ थे. मोदी ने इंटरव्यू में कहा,


"गोधरा में जो परसो हुआ, जहां पर 40 महिलाओं और बच्चों को जिंदा जला दिया, इससे देश और विदेश में सदमा पहुंचना स्वाभाविक था. गोधरा के इस इलाके की क्रिमिनल टेंडेंसी रही है. इन लोगों ने पहले महिला टीचर का खून किया और अब ये जघन्य अपराध किया है, जिसकी प्रतिक्रिया हो रही है.’’


नरेंद्र मोदी को इस इंटरव्यू के लिए पूछताछ का सामना करना पड़ा था, जिसमें उन्होंने कहा था, जो लोग गुजरात के इतिहास से परिचित हैं, वो जानते हैं कि गुजरात में सांप्रदायिक दंगों का एक लंबा इतिहास रहा है. राज्य में पहले भी कई दंगे हुए हैं. जहां तक इस इंटरव्यू में दिए गए बयान का जिक्र है तो वह 9 सालों बाद अब हुबहू याद नहीं है, लेकिन मैंने हमेशा शांति के लिए लोगों से अपील की है.’’ उन्होंने कहा कि अगर लोगों ने उनकी अपील को समझा होता तो बहुत पहले इस दंगे पर रोक लगाई जा सकती थी. मोदी ने अपने ऊपर  लगाए गए सभी आरोपों से इंकार कर दिया था.


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