संकल्प दुबे/इटावा: कानपुर में दहशत का मुतरादिफ रहे बदमाश राशिद उर्फ मोनू पहाड़ी का इटावा जेल में बुध को देर शाम कत्ल कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि जेल में मौजूद बदमाशों के बीच हुए तसादुम में राशिद की मौत हो गई. कानपुर का रहने वाला मोनू पहाड़ी डी-2 गैंग का शार्प शूटर था और गुज़िश्ता लंबे वक्त से इटावा जेल में कैद था. उस पर 50 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे. ख़बर है कि इटावा जेल में देर शाम कैदियों ने जेल के अफसरों और सिपाहियों पर भी हमला बोल दिया. जिसमें डिप्टी जेलर समेत 24 कैदी और जेल के कारकुन ज़ख्मी हो गए. इसमें कानपुर के टॉप 10 बदमाशों में रहा मोनू पहाड़ी भी था.


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2014 में हुई मोनू पहाड़ी की गिरफ्तारी 
मोनू को 2014 में तसादुम के बाद STF ने पकड़ा था. मोनू के पास से गैर मुल्की पिस्टल भी बरामद हुई थी. मोनू को पहले कानपुर की जेल में रखा गया लेकिन वो वहीं से गैंग को चला रहा था. वो जेल से ही कारोबारियों को धमकाता और रंगदारी मंगाता था. जिसके बाद उसे माती जेल में शिफ्ट कर दिया गया था.


बता दें कि मोस्ट वांटेड मोनू पहाड़ी ने बेहद कम उम्र मे ही जुर्म की दुनिया में पैर रख दिया था. उसे पहली बार 16 साल की उम्र में मकान के तनाज़े में पुलिस ने पकड़ा था. जिसके बाद उसे बाल सुधार घर में रखा गया लेकिन वहां से कुछ दिन में ही वो फरार हो गया. मोनू ने हिस्ट्रीशीटर इसरार का हाथ थामा और उसे अपना गुरू मान लिया. इसरार के बाद उसके गैंग को मोनू ने ही संभाला. इस दौरान मोनू पहाड़ी ने पैसे लेकर कत्ल करने शुरू कर दिए. उसने सबसे पहले डी-टू गैंग के सरगना से पैसे लेकर हिस्ट्रीशीटर लाला हड्डी का कत्ल किया, फिर मूलगंज चैराहे में दिनदहाड़े हसीन टुण्डा को गोलियों से भून दिया. बताया जाता है कि मोनू पहाड़ी अपनी दहशत शहर में बनाए रखने के लिए दिनदहाड़े कत्ल किया करता था, रंगदारी मांगता था. मोनू के जुर्म के बढ़ते ग्रार्फ को देखते हुए उस पर इनाम भी ऐलान किया गया और उसे पकड़ने के लिए एसटीएफ को लगाया गया.


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