देवबंद: दिल्ली हाई कोर्ट के ज़रिए देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने को वक्त की अहम जरूरत बताते हुए सरकार को इसे लागू करने के संबंध में जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. इस पर देश की सबसे बड़े इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी और अन्य देवबंदी उलेमा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू होने पर देश की एकता को धक्का लगेगा और इसको कोई भी वर्ग कबूल नहीं करेगा. 


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बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक़ के एक मामले पर सुनवाई करते हुए समान नागरिक संहिता को देश में लागू करने को वक्त की जरूरत बताया था और कहा था कि भारतीय समाज में धर्म, जाति, विवाह की पारंपरिक बेड़ियां टूट रही है, युवाओं को अलग-अलग पर्सनल लॉ से उपजे विवादों के संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है, इसके लिए यह कानून जरूरी है. अदालत ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए केंद्र सरकार को भी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे.


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दिल्ली हाईकोर्ट की इस टिप्पणी पर विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी की प्रतिक्रिया सामने आई है. नोमानी ने कहा कि यह कोर्ट का मामला है इसमें हम ज्यादा कुछ नहीं कह सकते लेकिन एक बात साफ है कि हमारे देश में अलग-अलग रंग और नस्ल के लोग रहते हैं, अगर समान नागरिक संहिता लागू हुई तो इससे मुल्क की एकता को धक्का लगेगा. 


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फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारूकी ने भी इस संबंध में अपने एक बयान में कहा कि समान नागरिक संहिता को देश का कोई भी वर्ग कबूल नहीं करेगा क्योंकि यह देश अलग-अलग धर्म और मान्यताओं के लोगों से भरा हुआ है, ऐसे में यहां समान नागरिक संहिता लागू होने से ज्यादा परेशानियां बढ़ेगी.


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