योगी सरकार के इस कदम को लेकर मुस्लिम रहनुमाओं के बयान भी सामने आए हैं.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. विधि आयोग की तरफ से कानून को लेकर मसौदा तैयार कर लिया गया है और अब आयोग ने राज्य सरकार को भी अपनी रिपोर्ट सौप दी है. सरकार जल्द ही इसको राज्य में लागू करने की कोशिश में लगी हुई है.
इस ड्राफ्ट के मुताबिक राज्य सरकार 2 से ज्यादा बच्चों वाले परिवारों की सुविधाओं में कटौती करने की तैयारी कर जा रही है. साथ ही इस कानून पर अमल करने वालों को कई सहूलात मुहैया कराएगी. योगी सरकार के इस कदम को लेकर मुस्लिम रहनुमाओं के बयान भी सामने आए हैं.
जानिए क्या है योगी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण कानून में
"सभी चाहते हैं जनसंख्या पर कंट्रोल हो"
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के तरजुमान मौलाना यासूब अब्बास का कहना है कि यह बिल्कुल सही है और सभी चाहते हैं कि जनसंख्या पर कंट्रोल होना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जरूरी नहीं है महज माइनॉरिटी में ही ज्यादा बच्चे हैं और अगर किसी खास तबके को टार्गेट किया जा रहा है तो यह गलत है और हम इसकी मुखालिफत करते हैं.
"8 बच्चे होंगे तो साइकिल के पंचर बनाएंगे"
वहीं इस मसौदे पर योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के विषय पर हमारी सरकार जनता से राय ले रही है, जनता की राय के बाद जनता की ही सिफारिशों के बाद हम ज़रूर इस क़ानून को लाएंगे. एक खबर के मुताबिक रजा ने आगे कहा कि दो बच्चों को हम डॉक्टर और इंजीनियर बना सकते हैं, लेकिन 8 बच्चे होंगे तो साइकिल की दुकान पर पंचर बनाएंगे और फावड़ा लेकर मजदूरी ही करेंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम मज़हब और किसी भी तबके को टारगेट नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश को आगे ले जाना चाहते हैं.
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"केंद्रीय लेवल पर होना चाहिए कानून"
इसके अलावा सूफियान निजामी का कहना है कि यह ड्राफ्ट महज़ एक चुनावी स्टंट है. योगी सरकार ने यह ड्राफ्ट 2022 के चुनाव के मद्देनजर पेश किया है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण उत्तर प्रदेश का नहीं बल्कि देश का मसला. साथ ही सूफियान निजामी ने मांग की है कि यह कानून केंद्र के लेवल पर होना चाहिए, सिर्फ उत्तर प्रदेश में कानून लाना समझ से परे है.
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