Story of Swiggy Delivery Boy: अक्सर आपने खाने की लेट डिलीवरी पर डिलीवरी बॉय पर ग़ुस्सा करने के पोस्ट देखे और पढ़े होंगे. खाने को देर से पहुंचाने के लिए आप सारा ग़ुस्सा उस डिलीवरी बॉय पर निकाल देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो आपका मनपसंद खाना आपके घर तक लेकर आता है वो कितनी मुश्किलों से गुज़र कर आप तक पहुंचता है. आपने कभी उनसे 2 मिनट शेयर कर बातचीत करते हैं, जो आपकी फेवरेट डिश को कड़क धूप, बारिश, ट्रैफिक जाम और ख़राब मौसम में भी आपके घर के दरवाज़े तक आने के लिए रोज़ाना लड़ता है. शायद ही आपने इन लड़ाईयों पर कभी ग़ौर किया हो. लेकिन बेंगलुरु के एक शख़्स ने ऐसा सोचा और लोगों के साथ साझा किया है.


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दिल छू लेगी ये मुलाक़ात


दरअसल, बेंगलुरु के रहने वाले रोहित कुमार सिंह ने एक डिलीवरी बॉय के साथ दिल छू लेने वाली मुलाक़ात को लिंक्डइन पर शेयर किया है. लिंक्डइन पर पोस्ट करते हुए रोहित कुमार लिखते हैं कि- 'जब मैंने दरवाज़ा खोला - मैंने देखा कि एक व्यक्ति अपने हाथ में ऑर्डर लेकर मुझे मासूमियत के साथ देख रहा था और मुस्कुराए जा रहा था. करीब 40 साल के दिखने वाले शख्स के भूरे बाल थे, बैसाखी के साथ खुद को संभालने कोशिश कर रहे थे और मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे; मैं एक सेकेंड के लिए सन्न रह गया और बिस्तर पर आराम से बैठकर ऑर्डर करने पर खुद को बेवकूफ महसूस कर रहा था. मैंने सोचा कि मुझ तक ये ऑर्डर पहुंचाने लिए उन्हें कितने संघर्षों से गुज़रना पड़ा होगा. मैंने फौरन उनसे सॉरी कहा और बातचीत करने की कोशिश की.'



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ज़िंदगी जीने का तरीका सिखा गया डिलीवरी बॉय


रोहित आगे लिखते है कि उनका नाम कृष्णप्पा राठौर था. जिन्होंने एक कैफे में अपनी नौकरी कोरोना महामारी के चलते गवा दी और तब से वह डिलीवरी बॉय का काम कर रहे हैं. आर्थिक तंगी से लड़ रहे कृष्णप्पा राठौर की सुपरपावर सुबह जल्दी उठने लेकर दिनभर काम करने तक आती है. रोहित बताते हैं कि हमें बातचीत करते 2-3 मिनट ही हुए थे कि अचानक कृष्णप्पा बोले  - 'सर, मुझे अपनी अगली डिलीवरी के लिए देर हो रही है.' कृष्णप्पा अपने पीछे इतने सारे सवाल छोड़ गए, जिनका जवाब देना मेरे लिए बेहद में मुश्किल है.