Electoral Bond Data: BJP को सबसे ज्यादा फंडिंग, ECI ने जारी किया पूरा डेटा; डिटेल
Electoral Bond Data: चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा पब्लिक कर दिया है. जिसके मुताबिक बीजेपी को सबसे ज्यादा फंडिंग मिली है. जिसके बाद टीएमसी का नंबर आता है.
Electoral Bond Data: भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के जरिए शेयर किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा को अपनी वेबसाइट पर पब्लिश कर दिया है. खास तौर पर यह डेटा अदालत की दी गई डेडलाइन से एक दिन पहले पब्लिश किया गया है. बता दें, पोल पैनल को इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल पब्लिश करने के लिए कहा गया था. कोर्ट ने इसे 15 मार्च 2024 शाम पांच बजे तक बेसबाइट पर डालने के लिए कहा था.
बीजेपी समेत कई पार्टियां शामिल
पोल पैनल के जरिए शेयर किए गए डेटा से 12 अप्रैल, 2019 के बाद से 1,000 रुपये से 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग के अब समाप्त हो चुके चुनावी बांड की खरीद का पता चलता है. यह जानकारी कंपनियों और व्यक्तियों दोनों के जरिए की गई खरीद को भी दिखाती है. आंकड़ों से यह भी पता चला है कि चुनावी बॉन्ड के जरिए से पैसा लेने वालों में बीजेपी, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल शामिल हैं.
बीजेपी को मिला सबसे ज्यादा चंदा
रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा मिला है. डेटा के मुताबिक पार्टी को 60 अरब से ज्यादा चंदा दिया गया है. इसके बाद टीएमसी को सबसे ज्यादा चंदा मिला है. इलेक्शन कमीशन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी इस डिटेल को जारी करने की जानकारी दी है. एसबीआई ने 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से 30 किश्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को बताया असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में, केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. इस योजना में गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की इजाजत दी गई थी. कोर्ट ने इसे "असंवैधानिक" कहा था. अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग को दानदाताओं, उनके के जरिए दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करना होगा.
एसबीआई ने मांगा था वक्त
एसबीआई ने विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था. हालाँकि, याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया, जिसने देश के सबसे बड़े बैंक को 12 मार्च को कार्य समय समाप्त होने तक सभी विवरण चुनाव आयोग को सौंपने के लिए कहा था.