प्रेम में पड़ने के भी हैं फायदे; इस रासायन की वजह से लोग प्यार में हो जाते हैं अंधे !
वोलोंगोंग विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर थेरेसा लार्किन और सुसान जे थॉमस ने प्रेम के दौरान शरीर में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों को अध्ययन कर बताया है कि प्रेम के लिए इंसान नहीं बल्कि उसके शरीर के अंदर का हार्मोंस जिम्मेदार होता है.
वोलोंगोंगः प्रेम इंसान की जिंदगी का हिस्सा है. इसके बिना जीवन की कल्पना तो की जा सकती है, लेकिन वह जीवन काफी नीरस और बोझिल बन जाएगा. प्रेम मानव जीवन के साथ ही फिल्मों, गीतों, कला, संस्कृति और साहित्य का भी अहम विषय है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक इंसान प्यार में होता है तो उसके शरीर में क्या होता है?
वैसे तो प्यार को परिभाषित आज तक नहीं किया जा सका है लेकिन लेकिन इसे स्नेह और समर्पण की तीव्र भावना के रूप में वर्णित किया जाता रहा है. हालांकि, विज्ञान प्रेम को मस्तिष्क द्वारा छोड़े गए कुछ रसायनों के मिश्रण के रूप में देखता है. कुछ लोगों की दलील है कि हमें प्यार को भूख, प्यास, नींद या सेक्स जैसी शरीरिक जरूरत ही माननी चाहिए. प्रेम प्रजनन की जरूरत से भी जुड़ा हुआ है लेकिन रोमांटिक प्रेम सिर्फ प्रजनन के बारे में नहीं सोचता है.
किसी से प्यार करने के फायदे
किसी से प्यार करने और प्यार किए जाने के कई फायदे हैं. इनमें बेहतर मानसिक स्वास्थ्य, भलाई की भावना और रोग प्रतिरोधक क्षमता शामिल हैं. प्रेम पुराने तनाव और बीमारी में कमी लाती है. प्यार में पड़ना आमतौर पर तब शुरू होता है जब कोई शख्स किसी दूसरे शख्स को खास और अनूठा समझने लगता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रेम में पड़ने का शुरुआती दौर एक चरम न्यूरोबायोलॉजिकल अवस्था है, जो कि उच्च प्रतिक्रियाओं और उच्च जुनून की विशेषता से संबंधित है. वहीं, वासना और आकर्षण सेक्स के लिए प्रेरणा के रूप में सेक्स हार्मोन, एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन द्वारा संचालित होते हैं, लेकिन जब आप प्रेम में पड़ते हैं तो मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्र सक्रिय हो जाते हैं, विशेष रूप से लिम्बिक सिस्टम और इनाम सेंटर. लिम्बिक सिस्टम की इंसानों की भावना और स्मृतियों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. यह एक सकारात्मक मनोदशा का कारण बनता है और बताता है कि नए प्यार से जुड़ी यादें इतनी मजबूत क्यों होती हैं. प्रेम से दिमाग के अंदर डोपामाइन और नॉरएड्रेनालाईन में भी इजाफा हो जाता है.
इस वजह से प्रेम में अंधे हो जाते हैं लोग
डोपामाइन इंसान को उत्तेजित करता है और उसके अंदर प्रेम को लेकर इंट्रेस्ट जगाता है. नॉरएड्रेनालाईन उत्साह की भावनाओं का कारण बनता है, और तेज हृदय गति, पेट में हड़बड़ी को बढ़ता है. इस वक्त मस्तिष्क के अन्य क्षेत्र निष्क्रिय हो जाते हैं. यह नकारात्मक भावनाओं को कम करता है. यही वजह है कि प्रेम में पड़ने वाले लोग शुरू में उस शख्स की कमियों के प्रति अंधे हो जाते हैं, जिससे वे प्यार करते हैं. उनकी बुराईयां भी उसे अच्छी लगने लगती है.
रोमांटिक प्रेम कैसे वक्त के साथ बदल जाता है?
किसी के प्रेम और मोह में पड़ने का प्रारंभिक चरण कई महीनों तक चलता है. अगले चरण के दौरान, प्रेम में घनिष्ठता, प्रतिबद्धता और एक-दूसरे के प्रति लगाव बढ़ जाता है. यह हार्मोन ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन द्वारा संचालित होता है. शुरूआत में अनिश्चितता के तनाव और प्यार में पड़ने के जोखिम के बाद ऑक्सीटोसिन हमें सुरक्षित महसूस कराता है. ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन की वजह से जिस व्यक्ति से कोई प्यार करता है, उसकी और खुद की रक्षा करता है. ऑक्सीटोसिन को अक्सर “प्रेम का हार्मोन“ कहा जाता है क्योंकि यह सामाजिक बंधनों और संबंधों के निर्माण का कारण बनता है. हालांकि, वक्त के साथ इस हार्मोन में कमी हो जाती है और प्रेम धमा पड़ जाता है.
प्रेम और वासना में फर्क करता है विज्ञान
विशेषज्ञ मानते हैं कि यौन गतिविधियां प्रेम से अलग होती हैं, लेकिन यह लगाव को मजबूत करती है. जब हम प्रेमी-प्रेमिका या पार्टनर को स्पर्श करते हैं, चूमते हैं या सेक्स करते हैं, तो शरीर ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन रिलीज होते हैं, जो एक जोड़े के बीच प्यार और प्रतिबद्धता को और बढ़ा देते हैं.
गैर-रोमानी प्रेम क्या है
रोमानी प्रेम के आलावा लोग परिवार, दोस्तों और यहां तक कि पालतू जानवरों से भी प्रेम करते हैं. प्रेम के इस सभी रूपों में ऑक्सीटोसिन महत्वपूर्ण कारक है. शोध में पाया गया है कि ऑक्सीटोसिन अवसाद कम करने के साथ लोगों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता और स्वस्थ सामाजिक संबंधों से भी जुड़ा है. इसलिए, अपने पसंदीदा शख्स या पालतू जानवरों के प्यार में भी पड़ना बुरा नहीं है.
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