नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के IT सेल के चीफ अमित मालवीय (Amit Malviya) ने कांग्रेस दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की ऑडियो जारी कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. वायरल ऑडियो में दिग्विजय सिंह कांग्रेस सरकार आने पर जम्मू-कश्मीर से हटाई गई धारा 370 को बहाल करने पर गौर करने की बात कही थी. अब इस जम्मू-कश्मीर के साबिक सीएम और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला का बयान सामने आया है. 


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फारूक अब्दुल्ला ने आजतक से बात करते हुए दिग्विजय सिंह के इस बयान का स्वागत किया है, साथ ही इस तरह की बात करने के लिए शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि हम उन्हें (दिग्विजय सिंह) को धारा 370 हटाने पर बोलने के लिए शुक्रिया अदा किया है. इसके अलावा फारूक अब्दुल्ला ने भाजपा को भी सलाह देते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर गौर करना चाहिए. 


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फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने इंसानियत और जम्हूरियत का वादा किया था लेकिन साल 2019 में जो हुआ वो जम्हूरियत नहीं थी. अब्दुल्ला ने आगे कहा कि हम पाकिस्तानी नहीं हैं. हम हिंदुस्तानी शहरी है. हम भारत में एक पार्टी हैं. हम पर पाकिस्तान का लेबल मत लगाइए."


बता दें कि अमित मालवीय ने दावा किया है कि यह ऑडियो क्लबहाउस चैट का है और इसमें पाकिस्तानी पत्रकार भी शामिल है. मालवीय ने ट्वीट करते हुए लिखा, "क्लबहाउस चैट में राहुल गांधी के करीबी दिग्विजय सिंह पाकिस्तानी पत्रकार से कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो आर्टिकल 370 हटाने के फैसले पर दोबारा विचार किया जाएगा. सच में? यही तो पाकिस्तान चाहता है..."


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क्या बोले दिग्विजय सिंह
अमित मालवीय के ज़रिए की गई ऑडियो में दिग्विजय कहते सुनाई दे रहे हैं, "जब कश्मीर से धारा 370 हटाई गई तो वहां लोकतंत्र नहीं था, ना ही इंसानियत थी. क्योंकि सभी जेल में बंद कर दिया गया था. कश्मीरियत वहां के सेक्युलरिज्म का हिस्सा है, क्योंकि मुस्लिम अक्सरियती राज्य का राजा हिंदू था और दोनों साथ मिलकर काम किया करते थे. यहां तक कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को सरकारी नौकरी में रिजर्वेशन दिया गया था. ऐसे में धारा 370 को हटाने का फैसला बहुत दुखदायक दुखद था और कांग्रेस जब सत्ता में आएगी तो 370 हटाने के फैसले पर दोबारा गौर करेगी."


बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले धारा 370 को हटा दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश में भी बांट दिया था.


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