नई दिल्लीः पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ (Former President of Pakistan Pervez Musharraf Passes Away) की इतवार को दुबई में मौत हो गयी. वो काफी अरसे से बीमार चल रहे थे. वो पकिस्तान से निर्वासन झेल रहे थे. उनपर पाकिस्तान में मुकदमा चल रहा था और उन्हें एक मामले में सज़ा भी सुनाई जा चुकी थी.


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पाकिस्तानी आर्मी के जनरल रहे परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने साल 1999 में नवाज शरीफ की चुनी हुई संघीय सरकार को अपदस्थ कर पाकिस्तान की सत्ता हथियाई थी. वह 2001 से 2008 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहे जब तक कि उन्होंने महाभियोग से बचने के लिए इस्तीफा नहीं दे दिया. वैसे तो परवेज मुशर्रफ का भारत से बहुत पुराना और गहरा रिश्ता रहा है, लेकिन उन्हें भारतवासी करिगल के खलनायक के तौर पर ही हमेशा याद रखेंगे. पाकिस्तान और भारत के बीच साल 1999 में 3 मई से लेकर 26 जुलाई तक चले करगिल युद्ध का असली सूत्रधार परवेज मुशर्रफ को ही माना जाता है.  


देश ने अपने 527 बहादुर जवानों को खो दिया 
आज से लगभग 23 साल पहले करगिल में हुए इस युद्ध में भारत ने लगभग 527 बहादुर जवानों को खो दिया था और इस  जंग में लगभग 14 सौ जवान घायल हुए थे. सैंकड़ों जवान के अंग-भंग कर दिए गए. भारत ने करगिल युद्ध जीतने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया और और इसमें लगभग 2 लाख सैनिकों की ताकत झोंक दी गई थी. इस में पाकिस्तान के लगभग 357 सैनिक मारे गए. विश्व के इतिहास में करगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी जाने वाली जंगों में से एक है. कश्मीर के करगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश के पीछे तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार माना जाता है.


करगिल ऑपरेशन को लेकर पाकिस्तानी सेना में ही था मतभेद 
जनरल मुशर्रफ करगिल संघर्ष के पीछे एक प्रमुख रणनीतिकार थे. मार्च से मई 1999 तक, उन्होंने करगिल जिले में कश्मीरी बलों की गुप्त घुसपैठ का आदेश दिया था. कारगिल में बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी घुसपैठ का जब भारत ने विरोध किया और पाक पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने में सफल रहा तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सीमा संघर्ष में विद्रोहियों का समर्थन वापस ले लिया था. लेकिन शरीफ के फैसले का पाकिस्तानी सेना ने विरोध किया. यहां तक कि घुसपैठियों के समर्थन को लेकर पाकिस्तान के नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल फसीह बोखारी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल पीक्यू मेहदी और वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल अली कुली खान के परवेज मुशर्रफ का विवाद हो गया. बाद में कई मौकों पर नवाज शरीफ ने इस तथ्य को उजागर किया कि करगिल ऑपरेशन उनकी जानकारी के बिना किया गया था. हालांकि इस मामले में शरीफ का झूठ भी बाद में पकड़ा गया था. 


मुशर्रफ ने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी
10 अगस्त 2019 को ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा चेन्नई में “कारगिल युद्ध के बीस साल“ पूरे होने पर रणनीतिक विश्लेषक और सेवानिवृत लेफ्टिनेंट कर्नल सीआर सुंदर ने कहा था कि 1984 में, कारगिल में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ के जवाब में, भारत ने सियाचिन और उसकी सहायक ग्लेशियरों पर नियंत्रण करते हुए ’ऑपरेशन मेघदूत’ शुरू किया था. इसके जवाब में, पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ, जिन्होंने विफल ’सियाचिन ऑपरेशन’ का नेतृत्व किया था, ने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी. सुंदर ने कहा कि 1999 का कारगिल युद्ध जनरल मुशर्रफ की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का नतीजा था. हालाकि भारत के वीर जवानों ने 26 जुलाई 1999 को इस युद्ध को जीत लिया था और मुशर्रफ को मुहं की खानी पड़ी थी. 

मुशर्रफ ने अपनी आत्मकथा में किया कई तथ्यों का खुलासा
युद्ध के बाद कई एक इंटरव्यू के दौरान परवेज मुशर्रफ ने कहा कि उनका 1999 का कारगिल ऑपरेशन बड़ी सफलत थी. अगर तत्कालीन प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने अमेरिका का दौरा नहीं किया होता, तो पाकिस्तानी सेना ने भारत के 300 वर्ग मील पर कब्जा कर लिया होता. उन्होंने कारगिल में ऑपरेशन शुरू करने के लिए अपनी कार्रवाई का बचाव किया था. शुरुआत में पाकिस्तान दावा किया था कि मुजाहिदीन 1999 के प्रारंभ में नियंत्रण रेखा के साथ रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन बाद में मुशर्रफ ने अपनी आत्मकथा ’इन द लाइन ऑफ फायर’ में खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना के सैनिकों ने ऑपरेशन में उनकी मदद की थी. मुशर्रफ ने जंग में पाकिस्तानी सैनिकों की मौत को सही ठहराते हुए दावा किया था कि देश ने भारत के 1,600 सैनिकों के खिलाफ सिर्फ 270 पुरुषों को खोया है. 


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