Gujrat Riots 2002: गुजरात हाई कोर्ट ने शनिवार को समाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड को 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में कथित रूप से झूठे साक्ष्य गढ़ने और गवाहों को प्रशिक्षित करने के मामले में तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश जारी किया. इसके बाद तीस्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां से उन्हें राहत मिली है. उन्हें एक हफ्ते के लिए अंतरिन जमानत दे दी गई है.


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जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. पिछले साल से उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. लेकिन उनको सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के वजह से अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई थी. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुजरात पुलिस उनको कभी भी गिरफ्तार कर सकती लेकिन अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को 8 दिन की अग्रिम जमानत देते हुए गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया है.


आपको बता दें कि गुजरात उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट जाने के आदेश पर रोक लगाने के तीस्ता सीतलवाड के वकील के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था.


क्या है पूरा मामला
तीस्ता सीतलवाड और पूर्व शीर्ष पुलिस आरबी श्रीकुमार को कथित तौर पर झुठी सबूत गढ़ने, जालसाजी करने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 2002 के गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद सितंबर 2022 में तीस्ता सीतलवाड को गुजरात की साबरमती जेल से रिहा कर दिया गया था.


गुजरात ATS द्वारा दर्ज की गई FIR में यह भी कहा गया है कि गवाहों के झूठे बयान तीस्ता सीतलवाड द्वारा तैयार किए गए थे और दंगों की जांच के लिए गठित नानावती आयोग के सामने प्रस्तुत किया था.


एफआईआर के मुताबिक सीतलवाड और श्रीकुमार ने झूठे सबूत गढ़कर और निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठी और दुर्भावनापूर्ण आपराधिक कार्यवाही शुरू करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रची थी.


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