ICHR Exhibition: शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने मध्यकालीन भारतीय राजवंशों पर एक एग्जिबीशन किया, जिसमें 50 विभिन्न राजवंशों को दिखाया, हालांकि, इस एग्जिबीशन  में किसी भी मुस्लिम राजवंश को शामिल नहीं किया गया. जिसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. ये एग्जिबीशन 6 जनवरी तक जारी रहेगा.


"मुस्लिम डायनेस्टी नहीं है भारतीय"


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इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि बहमनी और आदिल शाही जैसे मुस्लिम राजवंश एग्जिबीशन का हिस्सा क्यों नहीं है. आईसीएचआर के सदस्य सचिव प्रोफेसर उमेश अशोक कदम ने कहा कि वह मुस्लिम राजवंशों को भारतीय राजवंशों के रूप में नहीं मानते हैं. "वे लोग (मुस्लिम) मध्य पूर्व से आए थे और भारतीय संस्कृति से उनका सीधा जुड़ाव नहीं था." कदम कहते हैं कि , "मेडिवल दौर में इस्लाम और ईसाई धर्म भारत में आए और सभ्यता को उखाड़ फेंका और ज्ञान प्रणाली को नष्ट कर दिया." 


एग्जिबीशन का उद्घाटन करने वाले शिक्षा राज्य मंत्री (एमओएस) राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों से "कोलोनियल हैंगओवर" को दूर करने के लिए कहा था. सिंह ने कहा कि आजादी (स्वतंत्रता) से स्वराज (स्वशासन) तक की यात्रा में, "हमें इतिहास को रिफाइन करना चाहिए".


आपको बता दें इस एग्जिबीशन में देश के सभी कोनों से 50 राजवंशों को शामिल किया गया है, जिनमें अहोम, चोल, राठौर, यादव और काकतीय शामिल हैं. यह एग्जिबीशन में उनके संस्थापकों, राजधानी शहरों, समयरेखा और वास्तुकला, कला, संस्कृति और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में उनके भारत में योगदान पर फोकस है. ICHR का कहना है कि भारत के अनछुए अतीत से लोगों को अवगत कराने के उद्देश्य से जल्द ही देश भर के अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में इस एग्जिबीशन को दिखाया जाएगा.