पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राजनीतिक लाभ के लिए नागरिकता मुद्दे का इस्तेमाल करने का इल्जाम लगाया है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के देगंगा में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि अगर सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के पास नागरिकता नहीं है, तो वे राज्य और केंद्र की विकास योजनाओं का लाभ कैसे उठा रहे हैं.


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आपके पास है नागरिकता
ममता ने कहा, ‘‘जहां तक नागरिकता की बात है तो याद रखें कि आप सभी इस देश के नागरिक हैं. यदि आप नागरिक नहीं हैं, तो आप मुफ्त राशन, स्वास्थ्य साथी (स्वास्थ्य देखभाल योजना) का लाभ कैसे उठा रहे हैं, आपके पास पैन या आधार कार्ड है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा नागरिकता के मुद्दे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए कर रही है. भाजपा इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह कर रही है. पहले, जिलाधिकारी नागरिकता से जुड़े मामलों का फैसला करते थे, लेकिन अब राजनीति के लिए उनसे ये शक्तियां छीन ली गई हैं.’’ 


भाजपा पर बांटने का इल्जाम
ममता ने इल्जाम लगाया कि नागरिकता का मुद्दा उठाने के पीछे भाजपा का एजेंडा धार्मिक आधार पर लोगों को बांटना है. टीएमसी सुप्रीमो ने कहा, ‘‘वे लोगों को बांटना चाहते हैं. वे किसी को नागरिकता देना चाहते हैं और किसी को नागरिकता नहीं देना चाहते. अगर एक समुदाय को नागरिकता मिल रही है तो दूसरे समुदाय को भी मिलनी चाहिए. ये भेदभाव गलत है. हम इस भेदभाव के खिलाफ हैं.’’ ममता बनर्जी ने 1971 और उसके बाद बांग्लादेश से आए लोगों को भूमि का स्वामित्व अधिकार देने की टीएमसी सरकार की पहल का भी उल्लेख किया. उन्होंने शरणार्थी कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को यह अधिकार प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया ताकि वे शरणार्थियों के रूप में न रहें.


अमित शाह ने की थी टिप्पणी
ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नागरिकता को लेकर दिए गए एक बयान के जवाब में यह टिप्पणी की है. अमित शाह ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है. शाह ने बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का भी इल्जाम लगाया था. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सीएए का विरोध कर रही है. सीएए को 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था.