नई दिल्ली: मशहूर लेखक सलमान रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर कई मुस्लिम संगठनों ने दोबारा फौरन प्रतिबंध लगाने की मांग की है, लेकिन इन मुस्लिम संगठनों की मांग का विरोध भी किया जा रहा है. इसी क्रम में  इसका विरोध करते हुए ‘इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी’ (आईएमएसडी) ने सोमवार को मुसलमानों से आग्रह किया कि वे प्रतिष्ठित समाज सुधारक और शिक्षाविद् सर सैयद अहमद खान की तालीमों को याद रखें और किताबों पर बैन या उसे जलाने के बजाय "शब्दों का मुकाबला शब्दों से करें."


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रुश्दी की इस विवादित किताब की फिर से बिक्री की कुछ मुस्लिम संगठनों ने कड़ी निंदा की है. दरअसल, साल 1988 में राजीव गांधी सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के 36 साल बाद यह पुस्तक फिर से बिक्री होने लगी है.


 आईएमएसडी मुसलमानों से की ये अपील
आईएमएसडी ने एक बयान में कहा, "हम मुसलमानों से एक सदी से भी पहले सर सैयद अहमद खान द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को याद करने का गुजारिश करते हैं. अपने वक्त में, उन्होंने उन मुसलमानों का कड़ा विरोध किया, जो अपनी पसंद की किताबों को जलाते थे या अफसरों से उन पर बैन लगाने की मांग करते थे." 


"खान की सलाह साधारण थी. अगर कोई किताब तर्कपूर्ण आलोचना के योग्य है तो शब्दों का मुकाबला शब्दों से करें. ऐसी पुस्तकों को जलाने या प्रतिबंधित करने का मतलब है कि मुसलमान अपने मजहब का बौद्धिक और नैतिक आधार पर बचाव करने में असमर्थ हैं. अगर पुस्तक (कार्टून, नाटक, फिल्म) इस्लाम या उसके पैगंबर पर अनावश्यक या दुर्भावनापूर्ण हमले के अलावा कुछ नहीं है, तो उनका सुझाव था, इसे अनदेखा करें."


IMSD ने इन चर्चित हस्तियों का किया सपोर्ट
इतना ही नहीं IMSD ने देश के 42 चर्चित हस्तियों, लेखकों का भी समर्थन किया है, जिनमें नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, इतिहासकार सोहेल हाशमी, मशहूर शायर-वैज्ञानिक गौहर रजा, रंगमंच डाइरेक्टर फिरोज अब्बास खान, सीनियर जर्नलिस्ट अस्करी जैदी, राइटर शम्स-उल इस्लाम और डॉक्यूमेंट्री मेकर शमा जैदी शामिल हैं.