Independence Day 2024: भारत को 15 अगस्त 1947 को यौम-ए आज़ादी मिली थी. जिसके बाद हर साल देश में इस दिन यौम-ए आज़ादी का जश्न मनाया जाता है. यह दिन देशवासियों के लिए बहुत खास दिन है. क्योंकि इस दिन लोग देश को आजाद कराने वाले फ्रीडम फाइटर को याद करते हैं. 15 अगस्त 2024 को 78वां यौम-ए आज़ादी का जश्न मनाया जाएगा. इस खास मौके पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराते हैं. इस बार नरेंद्र मोदी लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं? देश के दो प्रधानमंत्री ऐसे भी रहे, जो लाल किले पर तिरंगा नहीं फहरा पाए. अगर आपको नहीं पता तो आइए हम आपको बताते हैं.


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भारत के इतिहास में चंद्रशेखर सिंह और गुलजारीलाल नंदा दो ऐसे प्रधानमंत्री रहे जो पीएम रहते हुए लाल किले पर तिरंगा नहीं फहरा पाए. इसकी वजह थी उनका छोटा कार्यकाल यानी दोनों का छोटा कार्यकाल होने की वजह से वे लाल किले पर तिरंगा नहीं फहरा पाए. आइए जानते हैं.


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चंद्रशेखर सिंह का कार्यकाल
1984 में 31 अक्टूबर को देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद लोकसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को 400 से ज़्यादा सीटें मिलीं, लेकिन 1989 के इलेक्शन में राजीव गांधी को हार का सामना करना पड़ा. 1989 में पहली बार देश में जनता दल की सरकार बनी. जिसकी अगुआई विश्वनाथ प्रताप सिंह ने किया. जनता दल की सरकार बीजेपी और वामपंथी दलों के समर्थन से बनी थी, लेकिन एक साल के भीतर ही यह सरकार गिर गई. क्योंकि लाल कृष्ण आडवाणी बिहार में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर रथ यात्रा निकाला था. इसी दौरान जनता दल के मुख्यमंत्री लालू यादव ने आडवानी को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद बीजेपी ने जनता दल अपना समर्थन वापस ले लिया. जिसके बाद वीपी सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई. 


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इस वजह से नहीं फहरा पाए तिरंगा
इसके बाद चंद्रशेखर सिंह जनता दल 64 सांसदों को लेकर पार्टी से अलग हो गए और एक नया राजनीतिक पार्टी बनाई, जिसका नाम समाजवादी जनता पार्टी रखा. चंद्रशेखर जिस कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था, उसी कांग्रेस से मिलकर उन्होंने सरकार बनाई. चंद्रशेखर भारत के 8वें प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन यह सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चली. उन्हें 6 महीने के भीतर पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. चंद्रशेखर सिंह साल 1990 में 10 नंबर को प्रधानमंत्री बने और 21 जून 1991 को इस्तीफा दे दिया. इसी वजह से वह 15 अगस्त को लाल किले पर तिरंगा फहराने से महरूम रह गए.


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गुलजारीलाल नंदा का कार्यकाल
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हुआ था. इसके बाद गुलजारीलाल नंदा देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने, लेकिन वे सिर्फ 13 दिन तक ही पद पर रहे. 9 जून 1964 को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वह 11 जनवरी 1966 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन यह भी सिर्फ 13 दिन पहले ही पूरा हुआ और 24 जनवरी 1966 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया. यही वजह है कि वह दो बार बने लेकिन 15 अगस्त को लाल किले पर तिरंगा नहीं फहरा पाए. क्योंकि लाल किले पर मौजूदा प्रधानमंत्री ही तिरंगा फहरा सकता है.