Islamic Knowledge: इस्लाम में बताया गया है कि अगर आप किसी को उधार पैसे दें तो उससे उतनी ही कीमत वापस लें. इस्लाम में ये भी कहा गया है कि अगर आप किसी को पैसे उधार दें और अगर वह वक्त पर वापस न कर सके, तो उसे थोड़ी और मोहलत दे दें. लेकिन उधार पैसे देकर उस पर सूद लेना इस्लाम में हराम है. सूद का कारोबार करना ऐसा है मानो किसी की मजबूरी का फायदा उठाना.


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इस्लाम में कहा गया है कि सूद खाने वाला गुनहगार है. सूद के लेन-देन का गवाह बनने वाला गुनहगार है. इसके अलावा सूद के लेन देन का दस्तावेज लिखने वाला गुनहगार है. इस्लाम में बताया गया है कि कयामत के दिन भी सूद खाने वाले का बुरा अंजाम होगा. कुछ मुस्लिम जानकारों का कहना है कि सूद खाना अपनी माँ के साथ व्यभिचार करने से भी बड़ा गुनाह है. सूद अल्लाह की रहमत से दूरी का एक जरिया है.


इस्लाम में कहा गया है कि जब कयामत के दिन सूदखोर उठाए जाएंगे तो वह इस तरह उठेंगे जैसे उन्हें शैतान ने छू कर पागल कर दिया हो. 


एक जगह जिक्र है कि जो कोई भी अल्लाह को न मानने के अलावा कोई दूसरा पाप करेगा, वह हमेशा के लिए जहन्नम में नहीं रहेगा, बल्कि अपने पापों की सजा पाने के बाद आखिरकार जहन्नम से बाहर निकाला जाएगा. लेकिन सूद लेने वाला हमेशा जहन्नम में ही रहेगा.


कुरान में यहूदियों के ताल्लुक से एक आयत है, इसमें सूद के बारे में कहा गया है. "और सूद लेने के कारण यहूदियों को सज़ा दी गई, हालाँकि उन्हें इससे रोका गया था." (सूरत अल-निसा). 
कुरान में एक दूसरी जगह सूद के बारे में जिक्र है कि "अल्लाह ताला ने खरीद फरोख्त को हलाल और सूद को हराम करार दिया है." (सूरा बकर: 527)


सूद के बारे में हदीस में जिक्र है कि "हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद से रिवायत है कि प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने कहा कि "जब किसी देश में व्यभिचार और सूदखोरी फैलती है, तो उस देश खुद को अल्लाह की सजा का हकदार बनाता है." (हदीस: सहीह इब्न हिब्बन)


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