जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया की सबसे बड़ी बैठक दुबई में चल रही है, जिसकी मेज़बानी यूएई (UAE) कर रहा है. दरअसल COP28 दुनिया भर के टॉप लीडर्स का इस साल का सबसे बड़ा सम्मेलन है. इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद हैं, जहां भारत के प्रधानमंत्री की मुलाक़ात मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू से हुई है, जिसके बाद मुइज़्ज़ू के पुराने बयान सोशल मीडिया पर चर्चा बन गए हैं. 


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क्या है पूरा मामला
मुइज़्ज़ू मालदीव के आठवें राष्ट्रपति हैं और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के क़रीबी माने जाते हैं. अब्दुल्ला यामीन के राज में  मालदीव और चीन के रिश्ते बेहद गहरे हो गए थे. इसके अलावा मुइज़्ज़ू का पूरा चुनावी अभियान ‘इंडिया आउट’ पर केंद्रित था. अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने घोषणा भी की थी कि वो मालदीव की ज़मीन पर विदेशी सैनिकों को नहीं रहने देंगे. राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने यही बात दोहराई. फिलहाल मालदीव में भारत के क़रीब 70 सैनिक हैं जो भारत के लगाए हुए रडार और विमानों की निगरानी करते हैं.


राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज़्ज़ू अपने पहले दौरे के लिए तुर्की पहुंचे थे. इससे भी उनकी 'भारत विरोधी' छवि मज़बूत हुई थी, क्योंकि अब से पहले मालदीव के नए राष्ट्रपति शपथ लेने के बाद भारत का दौरा करते थे. इन्हीं कुछ कारणों से मोहम्मद मुइज़्ज़ू की छवि  ‘चीन समर्थक’ और ‘भारत विरोधी’ की रही है. 


भारत और मालदीव के बीच गहरे होंगे संबंध ?
इस आपसी मुलाक़ात के दौरान, भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय रिश्तों की समीक्षा की गई. इस समीक्षा के दौरान लोगों के आपसी सम्बंधों को गहरा करने और विकास में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई. साथ ही, आर्थिक रिश्तों, जलवायु परिवर्तन और खेल पर भी चर्चा की गई.


संबंध बढ़ाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी
भारतीय विदेश मंत्रालय के हवाले से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव के राष्ट्रपति  मुइज़्ज़ू के बीच इस बात की चर्चा में कई आपसी सहयोग को और कैसे बढ़ाया जाए, एक कोर ग्रुप बनाने के ऊपर सहमति बनी है जिससे दोनों देश के बीच रिश्ते को बेहतर किया जा सके.