Islami Knowledge: इस्लाम में औरतों को कई हक दिए गए हैं. उनके हक और मरतबे के मुताबिक इस्लाम में मर्दों को कुछ हिदायत दी गई है. अल्लाह ताला कुरान में कहते हैं कि "तुम्हारी औरतें तुम्हारी खेतियां हैं. तुम्हें अख्तियार है कि जिस तरह चाहो अपनी खेती में जाओ, मगर अपने मुस्तकबिल की फिक्र करो और अल्लाह की नाराजगी से बचो, खूब जान लो कि एक दिन तुम्हें उससे मिलना है. और (ऐ नबी स0.) जो तुम्हारी हिदायात मान लें उन्हें फलाह व कामयाबी की खुशखबरी सुनाओ." (सूरा- अलबकर:322)


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कुरान की इस आयत का मतलब है कि अल्लाह ने औरतों को मर्दों के लिए सैरगाह नहीं बनाया, बल्कि उनके दरमियान खेत और किसान का सा रिश्ता रखा है. किसान का अपने खेतों से बहुत लगाव होता है. खेत में किसान सिर्फ सैर व तफरीह के लिए नहीं जाता बल्कि इसलिए जाता है ताकि वह उससे अपनी पैदावार हासिल करे. किसान अपनी पैदवार अच्छी करने के लिए कई तरकीबें करता है. इसलिए मर्दों को भी अपनी बीवियों के पास इसलिए जाना चाहिए ताकि वह उनसे पैदावार हासिल कर सके. इसके लिए वह अपनी बीवियों का ख्याल रखे. 


इसी में कहा गया है कि अपने मुस्तकबिल की फिक्र करो. इसका मतलब यह है कि अपनी नस्ल बरकरार रखने के लिए कोशिश करो, ताकि दुनिया चलती रहे और तुम्हारी जगह दूसरे लोग काम करने के लिए आएं. इसके बाद तुम अपनी जिन नस्लों को दुनिया में छोड़ने वाले हो उनको दीन, इस्लाम और इंसानियत सिखाओ. ताकि दुनिया बेहतर बनी रहे. 


एक दूसरी जगह कुरान में अल्लाह ताला कहते हैं कि "वह तुम्हारे लिए लिबास हैं और तुम उनके लिए लिबास हो." (सूरा- अलबकर: 187) इस आयत के जरिए अल्लाह ताला कहना चाहता है कि कई ऐसे काम हैं जो सिर्फ औरत ही कर सकती है. इसी तरह औरत की जिंदगी के कुछ ऐसे पहलू भी हैं, जहां मर्दों की दरकार होती है. कुरान में एक जगह कहा गया है कि मियां-बीवी का रिश्ता गुस्सा और नफरत का नहीं बल्कि मोहब्बत और चाहत का है.