WIPRO ने इस जुर्म में अपने 300 स्टाफ को नौकरी से निकाला; जानें, क्या होता है ‘मूनलाइटिंग’
Wipro terminated 300 employees in charge of Moonlighting: सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी विप्रो लिमिटेड ने अपनी कंपनी के 300 ऐसे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जो एक साथ दो-दो कंपनियों में काम कर रहे थे. इस घटना के बाद से आईटी कंपनियों के बीच ‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है.
नई दिल्लीः सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो लिमिटेड (Wipro Ltd) ने एक साथ दो संस्थानों में काम करने यानी ‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) को लेकर अपनी कंपनी के 300 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. विप्रो प्रमुख शुरू से ही मूनलाइटिंग (Moonlighting) के कड़े आलोचक रहे हैं और उन्होंने इसकी तुलना कंपनी के साथ ‘धोखाधड़ी’ के तौर पर की है. उन्होंने पिछले महीने ट्विटर पर कहा था, ‘‘सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों में मूनलाइटिंग करने वाले कर्मचारियों के बारे में बहुत सारी बातें सामने आ रही हैं. यह सीधे तौर पर कंपनी के साथ धोखा है.’’
कंपनी का अपने कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश
‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने कहा है, ’’कंपनी के पास ऐसे किसी भी कर्मचारी के लिए कोई जगह नहीं है, जो विप्रो के ‘पेरोल’ पर रहते हुए किसी दूसरी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के साथ भी काम करते हैं.’’ प्रेमजी ने कहा, ‘‘मूनलाइटिंग कंपनी के प्रति वफादारी का पूरी तरह से उल्लंघन है.’’ जब उन 300 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछा गया, तो प्रेमजी ने कहा कि इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी
गई हैं.
क्या होता है ‘मूनलाइटिंग’ ?
जब कोई कर्मचारी अपनी फुल टाइम नियमित नौकरी के साथ ही चोरी-छिपे किसी दूसरी कंपनी में भी काम करता है तो उसे तकनीकी तौर पर ‘मूनलाइटिंग’ (Moonlighting) कहा जाता है. गौरतलब है कि आईटी कंपनियां दरअसल इस बात को लेकर चिंतित हैं कि नियमित काम के घंटों के बाद दूसरी नौकरी करने वाले कर्मचारी काम की प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करेंगे और इसकी वजह से टकराव और डेटा उल्लंघन जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है.
मूनलाइटिंग पर छिड़ी बहस, क्या कहते हैं दूसरी कंपनियों के CEO
विप्रो के चेयरमैन की मूनलाइटिंग (Moonlighting) पर टिप्पणी के बाद एक नई बहस शुरू हो गई है. हालांकि, सूचना आईटी क्षेत्र की सभी कंपनियां इस मुद्दे पर सहमत नहीं दिख रही हैं. टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी ने कहा, ‘‘ वक्त के साथ बदलते रहना जरूरी है और मैं हमारे काम करने के तरीकों में बदलाव का स्वागत करता हूं.’’ आईबीएम ने भी ‘मूनलाइटिंग’ को अनैतिक बताया है. आईबीएम के एमडी (भारत और दक्षिण एशिया) संदीप पटेल ने कहा, ’’ कर्मचारी अपने बाकी वक्त में जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन मूनलाइटिंग करना नैतिक रूप से सही नहीं है. इन्फोसिस ने कर्मचारियों को भेजे संदेश में कहा है कि दो जगहों पर काम करने या ‘मूनलाइटिंग’ की अनुमति नहीं है.
ऐसी ही खबरों के लिए विजिट करें zeesalaam.in