नई दिल्ली: कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग, मंदिर मस्जिद विवाद और मॉब लिंचिंग जैसे मुद्दों पर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने अपनी बातों को मीडिया के सामने रखा. मीडिया से बात करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष इंजीनियर सलीम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों की लक्षित हत्याओं की कड़ी निंदा करता है.


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जमात-ए-इस्लामी हिंद ने मांग की है कि हत्याओं की जांच होनी चाहिए और असली दोषियों और साजिशकर्ताओं को दंडित किया जाना चाहिए. सरकार को सभी धर्मों के लोगों और आपसी विश्वास की सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थायी शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है. कई लोग स्थिति का राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं और राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना चाहते हैं. सरकार को सतर्क रहने और इसे सांप्रदायिक मुद्दा बनने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है.


मुस्लिम इबादतगाहों को निशाना बनाना बंद होना चाहिए
जमात-ए-इस्लामी हिंद देश में मुस्लिम इबादतगाहों को निशाना बनाने संबंधित हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है. जमात-ए-इस्लामी हिंद की तरफ से कहा गया कि रामनवमी के मौके पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जानबूझकर अनेकों जुलूस निकाले गए और मस्जिदों की मीनारों पर भगवा ध्वज फहराने के प्रयास किए गए. यह सब दिन के उजाले में हुआ और पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने इसकी अनदेखी की. महाराष्ट्र में, एक राजनीतिक दल ने खुले तौर पर प्रशासन को चुनौती दी कि वे एक अभियान चलाएंगे, और अपने कार्यकर्ताओं को मस्जिदों के सामने तबतक "हनुमान चालीसा" जारी रखने के लिए कहेंगे, जब तक कि वे अपने लाउडस्पीकर हटा नहीं लेते. भारत के बड़े शहरों के कई प्रमुख मस्जिदों को धमकी दी जा रही है और निशाना बनाया जा रहा है कि उन्हें हिंदू मंदिरों में बदल दिया जाएगा. 


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जमाअत इस्लामी हिन्द ने मांग की है कि भारत के गृह मंत्री को तत्काल एक बयान देना चाहिए कि सरकार पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है जिसमें कहा गया है कि मस्जिद, मंदिर, चर्च या सार्वजनिक पूजा स्थल जैसा 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था, उसी धार्मिक चरित्र के साथ रहेगा  - चाहे उसका इतिहास कुछ भी हो - और इसे अदालतों या सरकार द्वारा बदला नहीं जा सकता।


मॉब लिंचिंग पर सख़्त कानून बने
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने मध्य प्रदेश के मनासा शहर में भंवरलाल जैन नाम के एक बुजुर्ग को मुस्लिम होने के शक में पीट-पीट कर मार डालने की निंदा करता है. गरीब आदमी दूसरे समुदाय का था और कथित तौर पर लिंचिंग के दौरान उसके हत्यारों ने बार-बार उसे कबूल करने की कोशिश की कि उसका नाम मोहम्मद है. जमाअत इस्लामी हिन्द "मॉब लिंचिंग के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान" के बैनर तले नागरिक समाज की पहल का समर्थन करता है, जिसने क़ानून लाने के लिए “मानव सुरक्षा कानून (मसुका)” नामक एक मसौदा प्रस्तावित किया है. प्रस्तावित कानून 'भीड़' और 'लिंचिंग' की कानूनी परिभाषा पेश करता है. यह मांग करता है कि लिंचिंग को गैर-जमानती अपराध के दायरे में लाया जाना चाहिए. संबंधित एसएचओ (पुलिस अधिकारी) को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए और समयबद्ध न्यायिक जांच की जानी चाहिए. हालांकि जमात के पदाधिकारियों से हाल ही में मोहन भागवत के जरिये दिए गए बयानों पर भी राय मांगी गई लेकिन जमात ए इस्लामी के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने कहा कि जमात किसी व्यक्ति के बयानों पर रद्दे अमल नहीं देगा. सरकार अगर कुछ बात कहती तो जमात की तरफ से बयान जरूर आता है.


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