Jamiat Ulema-E-Hind: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी के नेता फखरूल हसन की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा, "सबसे पहले आपको एक बात समझनी होगी कि हर किसी की अपनी धार्मिक आजादी होती है. अगर किसी का धर्म सूर्य नमस्कार की इजाजत नहीं देता है, तो आप उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. हालांकि, इसके लिए सभी धर्मों में अन्य विकल्प सुझाए गए हैं. अगर कोई सूर्य नमस्कार नहीं कर सकता, तो आसन कर सकता है."


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जमीयत ने पारिक किया प्रस्ताव
उन्होंने आगे कहा, "इस तरह के मुद्दे पहले भी उठे हैं. यह राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दा है, लेकिन इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना गलत है." बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने प्रस्ताव पारित कर कहा था कि स्कूलों के अंदर हिंदू धार्मिक प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्कूलों में सरस्वती वंदना और सूर्य नमस्कार के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित किया है. 


प्रशासन की जिम्मेदारी
फखरुल हसन ने हाथरस मामले पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "यह प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. विदेश में भी इस घटना को लेकर दुख व्यक्त किया गया. बीजेपी को जिस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए थी, अफसोस वैसी कार्रवाई नहीं की गई. आरोपियों और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए." क्या चुनाव की वजह से बाबा की गिरफ्तारी नहीं हो पाई? इस सवाल पर सपा नेता ने कहा, "जब भी किसी कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति प्रशासन की ओर से दी जाती है, तो उससे जुड़ी सारी व्यवस्था करने का जिम्मा भी प्रशासन के कंधों पर ही होता है. अब आप देखिए कि किस तरह से महज 80 हजार लोगों को ही कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति मिली थी, लेकिन लाखों की संख्या में लोग शामिल हो गए और इसके लिए प्रशासन की ओर से भी कोई तैयारी नहीं की गई, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ. अब सवाल यहां महज बाबा की गिरफ्तारी का नहीं है, सवाल प्रशासन की लापरवाही का है. सरकार ने इस मामले में अपनी किसी भी जिम्मेदारी को नहीं निभाया है."


लालू का दावा सही
वहीं, लालू प्रसाद यादव के बयान पर भी फखरूल हसन ने अपनी प्रतिक्रिया दी. दरअसल, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में दावा किया था कि अगस्त में केंद्र की मोदी सरकार गिर जाएगी. इस पर फखरुल हसन ने कहा, "बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए सरकार में हैं. अगर ऐसी स्थिति में चुनाव से पहले बिहार में कोई राजनीतिक समीकरण बन रहा है तो निसंदेह उसकी जानकारी लालू प्रसाद यादव को होनी चाहिए और मुझे लगता है कि उसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह बयान दिया है. लालू प्रसाद यादव वरिष्ठ नेता हैं. अगर वो कोई दावा कर रहे हैं, कोई बात कह रहे हैं, तो उसे गंभीरता से लेनी चाहिए."