Champai Soren: झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई ने दिया इस्तीफ़ा; फिर से हेमंत सोरेन संभालेंगे कुर्सी
Jharkhand CM Champai Soren resigns: धनशोधन मामले में जमानत पर जेल से रिहा होने वाले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) फिर से मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे. इसके लिए वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) से पद से इस्तीफा ले लिया गया है. 31 जनवरी को अपनी गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ओहदे से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद चंपई को झारखण्ड का मुख्यमंत्री बनाया गया था.
रांची: चंपई सोरेन (Champai Soren) ने राज्यपाल से मुलाकात कर झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की गिरफ्तारी के बाद झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर 2 फरवरी को चंपई सोरेन ने CM पद का शपथ लिया था. इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का अपनी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायकों के बीच रजामंदी के बाद तीसरी बार शूबे का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ़ हो गया है. मुख्यमंत्री के तौर पर फिर से शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री होंगे. हाई कोर्ट द्वारा कथित जमीन घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में जमानत दिए जाने के बाद हेमंत सोरेन को गिरफ्तारी के लगभग पांच महीने बाद 28 जून को जेल से रिहा किया गया था. इससे पहले उन्होंने 31 जनवरी को अपनी गिरफ्तारी से ठीक पहले मुख्यमंत्री ओहदे से इस्तीफा दे दिया था.
झारखंड में इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव भी होना है. गठबंधन के नेताओं और विधायकों ने यहां मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के आवास पर एक बैठक के दौरान सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को झामुमो विधायक दल का नेता चुनने का फैसला किया है. गौरतलब है कि झारखंड 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर एक अलग राज्य बना था. लोकसभा चुनाव के बाद, राज्य में झामुमो-नीत गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 45 रह गई है, जिनमें झामुमो के 27, राजद का एक और कांग्रेस के 17 विधायक शामिल हैं. झारखंड की 81-सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 76 सदस्य हैं.
कोल्हान का टाइगर चंपई सोरेन आज चूहा बन गए हैं : भाजपा
उधर, चंपई सोरेन की जगह हेमंत सोरेन को फिर से झारखंड का सीएम बनाने के फैसले पर भाजपा नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. झारखंड प्रदेश बीजेपी के सदर बाबूलाल मरांडी ने कहा, "शिबू सोरेन का परिवार अपने परिवार से बाहर के किसी भी आदिवासी को सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करता है. अपना काम निकालने के बाद वे किसी को भी दूध की मक्खी की तरह उठाकर बाहर कर देते हैं. इस बार भी यही हुआ है. चंपई सोरेन को हटाए जाने से झामुमो का असली परिवारवादी चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है." मरांडी ने आगे कहा, "झामुमो के आदिवासी नेताओं को यह समझ में आ जाना चाहिए कि उनकी भूमिका सिर्फ शिबू सोरेन परिवार की पालकी ढोने की है. चंपई सोरेन चूंकि उस परिवार के नहीं हैं, इसलिए उन्हें इस्तीफा दिलवाया जा रहा है. कोल्हान का टाइगर कहलाने वाले चंपई सोरेन आज चूहा बन गए हैं."