क्या फ्रूट फ्लाई सेहत के लिए हानिकारक है? साइंटिस्ट ने क्यों बताया जरूरी
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क्या फ्रूट फ्लाई सेहत के लिए हानिकारक है? साइंटिस्ट ने क्यों बताया जरूरी

फलों पर मंडराने वाली छोटी मक्खियां देखने में बहुत अनहाइजेनिक लगती है, लेकिन वास्तव में इससे हमारी सेहत पर कोई नेगेटिव इफेक्ट नहीं होता है. 

क्या फ्रूट फ्लाई सेहत के लिए हानिकारक है? साइंटिस्ट ने क्यों बताया जरूरी

अक्सर पके हुए फलों पर मंडराने वाली सामान्य ‘फ्रूट फ्लाई’ (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) को हम अपनी आंखों से नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह कीट वास्तव में विज्ञान के लिए बेहद अहम है. इस छोटे से जीव ने पिछले सदी भर में कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजों को प्रेरित किया है.

आप यह जानकर हैरान होंगे कि अगर यह कीट न होता, तो कई अहम खोज कभी संभव नहीं हो पाती. इसके शरीर के कई अंगों को हम अनजाने में फल खाते वक्त निगल चुके होंगे, लेकिन इसके बावजूद इसका कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है. इसके महत्व को देखते हुए, वैज्ञानिक इसे खोज के लिए एक प्रमुख जीव मानते हैं.

फ्रूट फ्लाई कहां से आए?

फ्रूट फ्लाई का इतिहास दक्षिण-मध्य अफ्रीका के जंगलों से जुड़ा हुआ है, जहां यह मारुला फल पर निर्भर रहती थी. इस फल का मानव आहार में भी उपयोग होता था, और इसी कारण फ्रूट फ्लाई का संबंध मानव समुदायों से बन गया. समय के साथ, यह कीट अफ्रीका से बाहर एशिया, यूरोप और अमेरिका में फैल गया. ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर की प्रजाति को सामान्य फ्रूट फ्लाई कहा जाता है, जबकि अन्य रंगीन और बड़ी फ्रूट फ्लाई, जिन्हें ‘टेफ्रिटिड फ्लाई’ भी कहा जाता है, ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं.

फ्रूट फ्लाई का वैज्ञानिक महत्व

वहीं, अधिकांश कीटों के बारे में वैज्ञानिक कम ही ध्यान देते हैं, लेकिन फ्रूट फ्लाई के बारे में अनगिनत शोध किए गए हैं. यह कीट छोटे आकार की होती है, इसे आसानी से पाला जा सकता है और इसका जीवन चक्र बहुत तेजी से पूरा होता है, जिससे इसे प्रयोगों में इस्तेमाल करना सुविधाजनक होता है. इसके अलावा, यह सैकड़ों अंडे देने में सक्षम होती है, जिससे इनकी संख्या का प्रबंधन भी आसान होता है.

जेनेटिक रिसर्च में मददगार साबित

फ्रूट फ्लाई पर किए गए शोध ने आनुवंशिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 1990 के दशक में इसके जीनोम का अनुक्रमण किया गया था, जो मानव जीनोम की अनुकरण प्रक्रिया के लिए एक परीक्षण के रूप में उपयोग किया गया था. दिलचस्प बात यह है कि फ्रूट फ्लाई के जीन और मानव जीन के बीच 65% से अधिक समानता पाई गई है, जो मानव रोगों, भ्रूण विकास, उम्र बढ़ने, सीखने और अन्य जैविक प्रक्रियाओं के अध्ययन में मददगार साबित हुआ है.

प्रजातियों के संरक्षण में योगदान

फ्रूट फ्लाई पर किए गए शोध ने यह भी स्थापित किया है कि संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने और उन्हें जलवायु परिवर्तन तथा अन्य खतरों के प्रभावों से बचाने के लिए आनुवंशिक भिन्नता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है. शोधकर्ताओं का कहना है कि फ्रूट फ्लाई की मदद से यह देखा जा सकता है कि क्या ये कीट जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गर्मी के प्रति खुद को ढालने में सक्षम हैं.

-एजेंसी-

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