जहां पहले उठते थे सेना पर सवाल, अब वहीं कश्मीरी लड़कियां देशप्रेम में बना रही हैं तिरंगे
हालिया दिनों कुनन-बबागुंड गांव में फौज की मदद से केंद्रीय मंत्रालय के जन शिक्षण संस्थान योजना के तहत एक टेलरिंग और कटाई सेंटर चलाया जा रहा है, जहां कुनन-पोशपोरा इलाके की लड़कियां काम सीख रही हैं.
श्रीनगर: पिछले ई सालों से जम्मू-कश्मीर के सियासी हालात में काफी तबदीलियां आई हैं. पहले जहां सेना पर सवाल उठाए जाते थे, आज वहीं कश्मीरी लड़कियां और महिलाएं सेना के लिए काबिले फख्र काम करती हुई नज़र आ रही हैं. श्रीनगर से 110 किलोमीटर दूर कुपवाड़ा जिले के उसी कुनन-पोशपोरा इलाके में महिलाएं भारतीय फौज और हुकूमती तफ्तरों के लिए बड़े पैमाने पर तिरंगा सिल रही हैं.
हालिया दिनों कुनन-बबागुंड गांव में फौज की मदद से केंद्रीय मंत्रालय के जन शिक्षण संस्थान योजना के तहत एक टेलरिंग और कटाई सेंटर चलाया जा रहा है, जहां कुनन-पोशपोरा इलाके की लड़कियां काम सीख रही हैं और सेना और हुकूमत इदारों के लिए तिरंगे बना रही हैं. टेलरिंग और कटिंग सेंटर की ट्रेनर जमीला बेगम का कहना है कि इस सेंटर में कुनन-बबाकुंड और इसके आसपास के गांवों की लड़कियों को टेलरिंग, कटिंग और फैशन डिजाइनिंग का काम सिखाया जा रहा है.
जमीला बेगम ने टेलरिंग और कटाई सेंटर के बारे में मज़ीद बताते हुए कहा कि इस सेंटर को 17 मार्च 2021 से शुरू किया गया है. इस में सेंटर में करीब 40 लड़कियों ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग हासिल करने के साथ साथ ये लड़ियां ड्रेस भी तैयार करती हैं. जमीला बेगम ने बाताया कि इस सेंटर लड़कियां तिरंगा सिलती हैं, और उसकी सप्लाई सेना में होती है. उन्होंने कहा कि तिरंगा बनाते वक्त ऐसा एहसास होता है कि हम भी अपने मुल्क की खिदमत अंजाम दे रहे हैं.
इसी सेंटर में ट्रेनिंग हासिल करने वाली एक लड़की रुकैया ने बताया कि वह जो कुछ भी यहां सीख रही हैं, इससे आगे जा कर उसे काफी फायदा मिलेगा और इससे उसे रोज़गार हासिल करने में मदद मिलेगी. एक दूसरे लड़की ने बताया कि ऐसे सेंटर करीब हर गांव में खोले जाने चाहिए ताकि यहां की महिलाएं खुदकफील हो सकें और उनको रोजगार के मौके मिल सके.
काउंसिलिंग के बाद लोगों को मिलता है सही सम्त: डॉ. इकबाल
कश्मीर में जन शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर डॉ. इकबाल ने बताया कि पूरे मुल्क में 240 जिलों में कुल 240 जीएसएस सेंटर हैं. और कश्मीर में सिर्फ एक ही इंस्टीट्यूट है, जो कुपवाड़ा में है. इसके तहत जिले में करीब 60 सेंटर हैं, जिसमें से 40 सेंटर सेना के सहयोग से चलाए जा रहे हैं. इनमें इलेक्ट्रिशियन, शेफ, फ्रंटलाइन वर्कर, हेंडीक्राफ्ट, फैशन डिजाइनिंग, वगैरह कोर्स कराए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि कुनन गांव में छह महीने से टेलरिंग और कटिंग सेंटर चलाया जा रहा है। यहां दो बैच चल रहे हैं, जिनके लिए एक निर्देशक रखा गया है. इनमें करीब छह सेंटर ऐसे हैं, जहां सेना और बाकी सरकारी दफ्तरों के लिए कौमी तिरंगे बनाए जाते हैं.
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