Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति 'घोटाले' के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में आज यानी 13 सितंबर को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी और कहा कि लंबे समय तक जेल में रखना स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित करने के समान है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी. इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई है और कहा है कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की धारणा दूर करे.


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कोर्ट ने क्या कहा?
केजरीवाल की जमानत का आदेश पढ़ते हुए जस्टिस भुइंया ने कहा, "सीबीआई इस देश की प्रमुख जांच एजेंसी है. यह सभी के हित में है कि सीबीआई न सिर्फ शीर्ष पर हो, बल्कि ऐसा दिखे भी. इस बात की हरसंभव कोशिश की जानी चाहिए कि यह धारणा दूर हो कि जांच और गिरफ्तारियां निष्पक्ष तरीके से की गई हैं. कुछ समय पहले इस अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाई थी और इसकी तुलना पिंजरे में बंद तोते से की थी, इसलिए अब यह जरूरी है कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की धारणा दूर करे."


11 साल पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा था पिंजरे का तोता
यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि ठीक 11 साल 4 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही टिप्पणी की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' बताया था और अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई को इस छवि से मुक्त होकर देखा जाना चाहिए.


11 साल पहले क्या हुआ था
दरअसल, 9 मई 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच कोयला घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे का तोता कहा था. जिसपर सीबीआई ने आपत्ति दर्ज की थी.


कोर्ट ने क्या कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, "सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है. इस तोते को आजाद करना जरूरी है. सीबीआई एक स्वायत्त संस्था है और इसे अपनी स्वायत्तता बरकरार रखनी चाहिए. सीबीआई को तोते की तरह अपने मालिक की बातें नहीं दोहरानी चाहिए."